देहरादून/मसूरी। घपले-घोटालों को लेकर कुख्यात नगर पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता की मनमानी पर एमडीडीए की सख्ती बढने लगी है। गुप्ता के कारनामों पर जानबूझकर खामोशी बरतने वाले एमडीडीए के अभियंता अब अपनी खाल बचाने के लिए हरकत में आने लगे हैं। मासोनिक लॉज प्रकरण में जैसे-जैसे एमडीडीए के अभियंता जांच के दायरे में आ रहे हैं, वैसे-वैसे अब वे भी रंग बदलने लगे हैं। मासोनिक लॉज मामले में जहां मामला हाईकोर्ट में चल रहा है, वहीं दूसरी ओर शासन के निर्देश पर कमिश्नर गढ़वाल ने भी जांच शुरू कर दी है। कमिश्नर ने बकायदा एमडीडीए के उन सभी अभियंताओं और सुपरवाइजरों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है जिनकी मसूरी में तैनाती के दौरान कानून को ताक पर रखकर पार्किंग की आड़ में सात मंजिला बिल्डिंग अवैध तरीके से खड़ी कर ली गई। अभिषेक भारद्वाज व अतुल गुप्ता दोनांें ही इसकी जद में आ रहे हैं। इन दोनों को ही जवाब देना है कि आखिर क्यों पिछले दो सालों में मासोनिक लॉज में पार्किंग के नाम पर बिना नक्शा मंजूर किए ही सात मंजिला काम्पलेक्स खड़ा हो गया? न केवल काम्प्लेक्स खड़ा हो गया बल्कि 70 साल पुराने डिमरी हाउस/मजदूर भवन की पांच मंजिला जीर्णशीर्ण बिल्डिंग की दीवार तोड़कर गुपचुप तरीके से नये अवैध सात मंजिला पार्किंग काम्पलेक्स से जोड दिया गया है, जिससे सैकड़ों लोगों की जान खतरे में है।
सहायक अभियंता अभिषेक भारद्वाज हों या फिर अधिशाासी अभियंता अतुल गुप्ता, दोनों ही जानते हैं कि मासोनिक लॉज का अवैध निर्माण एक बड़े खतरे को न्यौता दे रहा है और यह कभी भी किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। तब इसकी आंच कई अधिकारियों को झुलसा सकती है। अब इसी से सबक लेकर एमडीडीए ने गुप्ता की मनमानी पर नकेल कसनी शुरू कर दी है।
मासोनिक लॉज प्रकरण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले शेखर पांडेय की मुख्यमंत्री से की गई शिकायत पर अब एमडीडीए ने झडीपानी में बिना नक्शा पास कराये गौशाला और उसके उपर बने आवासीय फ्लैट्स को सील कर दिया है।
एमडीडीए की इस कार्रवाई के खिलाफ जिस तरह की प्रतिक्रिया अनुज गुप्ता की कुछ मीडिया रिपोर्टस के हवाले से सामने आई है वह दिखाती है कि गुप्ता अपनी पोल खुलने से किस हदतक बौखला गया है। अमर उजाला की खबर के अनुसार अनुज गुप्ता ने एमडीडीए को विकास विरोधी करार देते हुए कहा है कि वे पिछले दस सालों में मसूरी में हुए अवैध निर्माण की जांच की मांग को लेकर अदालत में जाएंगे। गुप्ता की बौखलाहट का मुख्य कारण ये भी नहीं है कि एमडीडीए ने गौशाला व फ्लैट्स सील कर दिए हैं, दरअसल गुप्ता इस बात से ज्यादा परेशान है कि गौशाला के उपर टीन शेड व फ्लैट्स के नाम पर कुछ दिन पहले ही जारी किया गया 76 लाख का टेंडर भी इस कार्रवाई से खटाई में पड़ गया है।
अनुज गुप्ता और अधिशासी अधिकारी राजेश नैथानी को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि जिस गौशाला में 60 से 70 आवारा पशुओं को रखा जाना है उसके उपर आवास योजना के तहत आखिर कैसे आवासीय फ्लैट्स बनाए गए? आवारा पशुओं के साथ इंसानों के लिए आवास बनाना आखिर कहां तक न्योचित है? गौशालाओं में पशुओं की देखरेख किस तरह की जाती है यह कौन नहीं जानता? ऐसी गौशालाओं में रखे जाने वाले पशुओं को सही पोषण व उपचार न मिलने से बीमारियों का घर बन जाते हैं। गौशालाओं के नाम पर जो खेल इस राज्य में चल रहा है वह एक अलग कहानी है। इसी गौशाला में पशुओं की देखरेख के नाम पर गुप्ता ने टेंडर के नाम पर जो खेल खेला है वह भी एक अलग घोटाला है।
आवारा पशुशाला के साथ गरीबों के लिए आवास बनाने का बेशर्मी के साथ बचाव करने वाले अनुज गुप्ता और राजेश नैथानी को चाहिए कि उन्हें वहां खुदका ही आवास बना लेना चाहिए।
कुल जमा लबोलुआब यह है कि नगर पालिका के काले कारनामों पर जबतक एमडीडीए ने पर्दा डाल रखा था तबतक सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अब जब अपनी गर्दन बचाने के लिए एमडीडीए कार्रवाई करने पर उतर आया तो गुप्ता धमकी देने की हदतक गिर आया है। अनुज गुप्ता और एमडीडीए की यह लड़ाई अब आने वाले दिनों में कुछ और रोचक मोड ले सकती है।