November 24, 2024

नई दिल्ली: मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने की वीभत्स घटना से जुड़ा वीडियो सामने आने के बाद कई नेताओं और अभिनेताओं ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से पूर्वोतर में शांति बहाल करने की अपील की है.

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से फौरन कार्रवाई करने को कहते हुए कहा कि वीडियो से वह ‘‘बहुत व्यथित’’ है.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इसे ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य’’ बताया. पीठ ने केंद्र तथा राज्य सरकार से फौरन कदम उठाने और उसे यह बताने का निर्देश दिया कि क्या कार्रवाई की गई है.

पीठ ने कहा, ‘‘हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे.’’

मणिपुर वीडियो पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “ऐसी घटनाएं अस्वीकार्य हैं.”

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चार मई का यह वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद से मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया है. इस वीडियो में दिख रहा है कि विरोधी पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं.

(आईटीएलएफ) के गुरुवार को प्रस्तावित मार्च से एक दिन पहले यह वीडियो सामने आया है.

पुलिस ने बताया कि थाउबल जिले के नोंगपोक सेकमई पुलिस थाने में अज्ञात सशस्त्र बदमाशों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया गया है.

‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह ‘‘घृणित घटना’’ चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं और उनसे मिन्नतें कर रही हैं.

हालांकि, दिप्रिंट ने एक सप्ताह पहले ही इस बारे में रिपोर्ट की थी कि मणिपुर में महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया जा रहा है.

इस बीच, सरकार ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया मंचों से मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराए जाने का वीडियो हटाने के लिए कहा है. सूत्रों ने बताया कि वीडियो आपत्तिजनक है और चूंकि मामले की जांच की जा रही है तो ट्विटर तथा अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से वीडियो को हटाने के लिए कहा गया है.

मालीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री को आज पत्र लिखकर मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने एवं लड़कियों पर हमला करने वाले वीडियो में दिख रहे पुरुषों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग करूंगी. पत्र में मणिपुर के मुख्यमंत्री से मुझे जीवित बचे लोगों, उनके परिवारों और अन्य लड़कियों एवं महिलाओं से मिलने की अनुमति देने का आग्रह करूंगी.’’

मालीवाल ने ट्वीट में कहा, ‘‘महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के संबंध में सरकार को एक तथ्यान्वेषी रिपोर्ट सौंपना चाहती हूं ताकि जल्द से जल्द कार्रवाई की जा सके.’’

वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है और राज्य पुलिस प्रमुख को मामले में त्वरित कार्रवाई करने को कहा है.

आयोग ने ट्वीट किया, ‘‘एनसीडब्ल्यू मणिपुर घटना की निंदा करता है. हम स्वत: संज्ञान ले रहे हैं, मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को शीघ्र उचित कार्रवाई करने को कहा गया है.’’

इससे पहले, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्होंने मणिपुर में कुछ पुरुषों द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के वीडियो को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से बात की है.

उन्होंने इस घटना को ‘‘निंदनीय और पूरी तरह अमानवीय’’ बताया है.

केंद्रीय मंत्री ने गुरुवार को ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर से आ रहा दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का भयावह वीडियो निंदनीय और पूरी तरह अमानवीय है. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह जी से बात की है जिन्होंने मुझे बताया कि मामले की जांच की जा रही है तथा आश्वस्त किया कि दोषियों को सजा दिलाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी.’’

मणिपुर पुलिस ने सेनापति जिले के एक गांव में दो जनजातीय महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने और भीड़ द्वारा उनसे छेड़छाड़ करने संबंधी चार मई के वीडियो में नजर आ रहे मुख्य आरोपियों में से एक को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया.

अधिकारियों ने कहा कि घटना का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस की कई टीम का गठन किया गया था.

अधिकारियों ने कहा कि इनमें से एक व्यक्ति जिसे इस घटना का कथित मुख्य साजिशकर्ता कहा जा रहा है, उसे थाउबल जिले से गिरफ्तार किया गया.

आरोपी 26 सेकंड के इस वीडियो क्लिप में प्रमुखता से नज़र आ रहा है.

मणिपुर में तीन मई से इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मैतेइ समुदाय और पर्वतीय इलाकों में रहने वाले जनजातीय कुकी समुदाय के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं. हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.

नेताओं ने की शांति की अपील

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उक्त मामले को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से गुरुवार को बात की.

गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री को चार मई को हुई इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

सूत्रों ने बताया कि शाह ने सिंह से इस घटना में शामिल सभी आरोपियों को पकड़ने के लिए हर संभव कदम उठाने और कानून के तहत उचित कार्रवाई करने को कहा है.

इस बीच कांग्रेस नेता राहुल और प्रियंका गांधी, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों, अभिनेताओं, विभिन्न सांसदों पार्टी अध्यक्षों ने केंद्र और राज्य सरकार से शांति बहाल करने की अपील की. कांग्रेस के कईं नेताओं को मणिपुर की घटना को लेकर प्रदर्शन करने पर गिरफ्तार भी किया गया है.

कांग्रेस ने कहा कि संसद का मानसून सत्र आरंभ होने के साथ ही विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) मणिपुर के विषय पर सरकार से जवाब मांगेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद इसका जवाब देना होगा.

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यह दावा भी किया कि मणिपुर पर प्रधानमंत्री मोदी की ‘चुप्पी’ को देश कभी माफ नहीं करेगा.

शरद पवार ने भी प्रधानमंत्री से मणिपुर में शांति बहाल करने की अपील की.

मनीष तिवारी समेत कांग्रेस के कई सांसदों ने मणिपुर के विषय को लेकर संसद के दोनों सदनों में कार्यस्थगन के नोटिस दिए हैं.

खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में मानवता खत्म हो गई. मोदी सरकार और भाजपा ने राज्य के नाजुक सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करके लोकतंत्र और कानून के शासन को भीड़तंत्र में बदल दिया है.’’

उन्होंने कहा,‘‘नरेंद्र मोदी जी, भारत आपकी चुप्पी को कभी माफ नहीं करेगा. यदि आपकी सरकार में ज़रा भी विवेक या शर्म बची है, तो आपको संसद में मणिपुर के बारे में बोलना चाहिए और केंद्र एवं राज्य दोनों में अपनी दोहरी अक्षमता के लिए दूसरों को दोष दिए बिना देश को बताना चाहिए कि क्या हुआ. आपने अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी त्याग दी है.’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘संकट की इस घड़ी में हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं.’’

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा भड़के 78 दिन हो गए हैं. उस भयावह घटना को बीते 77 दिन हो गए हैं जिसमें दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया और उनके साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया. अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के 63 दिन बाद भी अपराधी अभी तक फरार हैं.’’

उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध के कारण शेष भारत को इस बात का जरा भी अंदाज़ा नहीं था कि मणिपुर में इतनी भयानक घटना घटी.

कांग्रेस नेता ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘यह बिल्कुल अक्षम्य है कि महिला एवं बाल विकास मंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री से बात करने या बयान जारी करने के लिए 76 दिनों तक इंतजार किया.’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या केंद्र सरकार, गृह मंत्री या प्रधानमंत्री को इस घटना की जानकारी नहीं थी? मोदी सरकार, सब कुछ ठीक है जैसी बातें करना कब बंद करेगी? मणिपुर के मुख्यमंत्री को कब बदला जाएगा ? ऐसी और कितनी घटनाओं को दबाया गया है?’’

कांग्रेस ने तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने लोकतंत्र को ‘भीड़तंत्र’ में बदल दिया है.

खरगे ने कहा, ‘‘सरकार को सदन में मणिपुर के मामले पर चर्चा कराना चाहिए.’’

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार में लोकतंत्र को ‘भीड़तंत्र’ में तब्दील कर दिया गया है.

कांग्रेस की महिला इकाई की अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश के प्रधानमंत्री व तमाम केंद्रीय मंत्री अगर मणिपुर मुद्दे पर चुप हैं तो इसका मतलब है कि वह चाहते हैं, मणिपुर में हिंसा हो. इस घटना की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री को लेनी होगी.’’

पार्टी सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में स्पष्टीकरण देना चाहिए.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पीएम की चुप्पी और निष्क्रियता ने मणिपुर को अराजकता की ओर धकेल दिया है. जब मणिपुर में भारत के विचार पर हमला किया जा रहा है तो भारत चुप नहीं रहेगा. हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं. शांति ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.’’

प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘मणिपुर से आ रही महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं. महिलाओं के साथ घटी इस भयावह हिंसा की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है. समाज में हिंसा का सबसे ज्यादा दंश महिलाओं और बच्चों को झेलना पड़ता है. हम सभी को मणिपुर में शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हिंसा की एकस्वर में निंदा करनी पड़ेगी. केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री जी आखिर मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर आंख मूंद कर क्यों बैठे हैं? क्या इस तरह की तस्वीरें और हिंसक घटनाएं उन्हें विचलित नहीं करतीं?’’

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘‘मणिपुर की वारदात बेहद शर्मनाक और निंदनीय है. भारतीय समाज में इस तरह की घिनौनी हरकत बर्दाश्त नहीं की जा सकती. मणिपुर के हालात बेहद चिंताजनक बनते जा रहे हैं. मैं प्रधानमंत्री जी से अपील करता हूं कि वे मणिपुर के हालातों पर ध्यान दें. इस वारदात की वीडियो में दिख रहे दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें. भारत में ऐसे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए.’’

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा कि वह मणिपुर में ‘‘महिलाओं पर किए जा रहे अत्याचार’’ से स्तब्ध हैं और केंद्र से पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने के लिए कदम उठाने की मांग की.

स्टालिन ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से पूरी तरह आहत और स्तब्ध हूं. हमारी सामूहिक चेतना कहां है? नफरत और द्वेष मानवता की आत्मा को चोट पहुंचा रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसे अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए और सहानुभूति और सम्मान से पूर्ण समाज को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए. केंद्र सरकार को मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए हरसंभव कदम उठाने चाहिए.’’

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मणिपुर में जारी हिंसा पर दुख जताते हुए कहा कि इससे पूरा देश चिंतित है.

गहलोत ने कहा कि ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लापरवाही की वजह से’’ मणिपुर में अभी तक 142 लोगों की मौत हो चुकी है.

मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘अत्यंत दुख की बात है कि मणिपुर में हिंसा बंद होने का नाम नहीं ले रही. इससे पूरा देश चिंतित है. भाजपा की लापरवाही की वजह से मणिपुर में अभी तक 142 लोगों की मौत हो चुकी है.’’

उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘मणिपुर को देखकर राजस्थान में लोग पूछ रहे हैं कि भाजपा की सरकारों को कानून व्यवस्था कायम रखना क्यों नहीं आता?’’

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “अगर राहुल गांधी मणिपुर जा सकते हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों नहीं.”

शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘मणिपुर में जातीयता आधारित हिंसा पर कोई अंकुश नहीं है. हम इस मुद्दे को (संसद में) उठाएंगे. यह एक शर्मनाक और परेशान करने वाला मुद्दा है. एक महिला नेता होने के नाते, हम इस मुद्दे को उठाएंगे और महिलाओं की आवाज़ बनेंगे.’’

राजद सांसद मनोज झा ने कहा, ‘‘मैंने इस मुद्दे (मणिपुर हिंसा के) पर नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया है. सभापति ने भी दृश्य देखे होंगे, उन्होंने भी पिछले 2.5 महीनों में मणिपुर को जलते हुए देखा होगा. यदि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा नहीं की जाती है , फिर संसद होने का क्या फायदा.’’

आप सांसद संजय सिंह ने कहा, “मणिपुर जल रहा है हम संसद में इस बारे में जवाब मांगेंगे.’’

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा, ‘‘मणिपुर की स्थिति संवेदनशील है और इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए. राज्य में मौजूदा मुद्दों का समाधान किया जा रहा है.’’

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने सिलसिलेवार ट्वीट्स में कहा, ‘‘मणिपुर के दृश्यों से शर्मिंदा और भयभीत हूं. ये शैतानी सरकार कब ज़िम्मेदारी लेगी? मणिपुर के मुख्यमंत्री कब देंगे इस्तीफा? अधिक महत्वपूर्ण यह है कि मौनगुरु विदेश में राजकीय रात्रिभोज के साथ कब रुकेंगे और मणिपुर के बारे में बोलेंगे?’’

उन्होंने पीएम को मौनगुरु कहते हुए कहा, ‘‘मौनगुरु – आप भारत के प्रधानमंत्री हैं. मणिपुर भारत का अभिन्न अंग है. कुकी महिलाएं भारत की बेटियां, मां और बहनें हैं. भारत के प्रेम के लिए-अपनी चुप्पी तोड़ें. एक बार सही काम करें.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में गृहयुद्ध है. हम युद्ध अपराध देख रहे हैं. हमारे देश में यही हो रहा है. यह क्या है, बीजेपी कि भारत को इतना कमज़ोर कर दिया है.’’

आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा, ‘‘मणिपुर की घटना (दो महिलाओं को नग्न घुमाने का वीडियो) मानवता को शर्मसार करती है. मणिपुर में क्या हो रहा है और केंद्र सरकार इस पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?’’

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष और तेलंगाना के मंत्री के.टी. राम राव ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड कराने के वीडियो के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सबकुछ छोड़कर अपना सारा समय पूर्वोत्तर राज्य को बचाने में लगाने का अनुरोध किया.

उन्होंने कहा कि भारतीय तालिबान के खिलाफ आक्रोशित थे जब वे बच्चों तथा महिलाओं पर जुल्म ढहा रहे थे और अब भारत में ‘मणिपुर में मैतेइ भीड़’ द्वारा ‘‘कुकी महिलाओं’’ की निर्वस्त्र कर परेड कराने तथा उनका यौन उत्पीड़न परेशान करने वाला है और इसकी घिनौनी याद दिलाता है कि नए भारत में बर्बरता को कैसे सामान्य बना दिया गया है.

राम राव ने ट्वीट किया, ‘‘यह पूरी तरह भयावह घटना है और कानून एवं व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है जबकि केंद्र सरकार बिल्कुल चुप्पी साधे हुए इसे देख रही है. मणिपुर में जब मर्यादा तार-तार हो रही है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी आप कहां हैं? कृपया सबकुछ छोड़कर मणिपुर को बचाने में अपना सारा समय तथा ऊर्जा लगाएं.’’

उन्होंने एक बयान में कहा कि हिंसा के ऐसे कृत्य किसी भी सभ्य समाज में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.

अभिनेता अक्षय कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का वीडियो देखकर हिल गया, घृणा हुई. मुझे उम्मीद है कि दोषियों को इतनी कड़ी सजा मिलेगी कि कोई दोबारा ऐसी खौफनाक हरकत करने के बारे में न सोचे.’’

अभिनेत्री उर्मिला मांतोडकर ने भी कहा कि मणिपुर की घटना से स्तब्ध हूं.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर के वीडियो से स्तब्ध और भयभीत हूं और तथ्य यह है कि यह मई में हुआ था और इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. शर्म आनी चाहिए उन लोगों को जो सत्ता के नशे में चूर ऊंचे पदों पर बैठे हैं, मीडिया में बैठे जोकर उन्हें चाट रहे हैं, मशहूर हस्तियां जो चुप हैं. प्रिय भारतवासियों/भारतीयों, हम यहां कब पहुंच गए?’’

अभिनेत्री रेणुका सहाने ने कहा, ‘‘क्या मणिपुर में अत्याचार रोकने वाला कोई नहीं है? यदि आप दो महिलाओं के उस विचलित करने वाले वीडियो से अंदर तक नहीं हिल गए हैं, तो क्या खुद को इंसान कहना सही है? भारतीय कहना तो क्या ही!’’

सोशल मीडिया पर लोग इस प्रकरण को महाभारत के पांचली प्रकरण से जोड़ रहे हैं.

अभिनेता आशुतोष राणा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘इतिहास साक्षी है जब भी किसी आतातायी ने स्त्री का हरण किया है या चीरहरण किया है उसकी क़ीमत संपूर्ण मनुष्य ज़ाति को चुकानी पड़ी है. जैसे सत्य, तप, पवित्रता और दान ‘धर्म’ के चार चरण होते हैं वैसे ही ‘लोकतंत्र’ के भी विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व पत्रकारिता रूपी चार चरण होते हैं. लोकतंत्र के इन चारों स्तंभों को एक दूसरे के साथ लय से लय मिलाकर चलना होगा तभी वे लोक को अमानुषिक कृत्यों के प्रलय के ताप से मुक्त कर पाएंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है जब सभी राजनीतिक दलों और राजनेताओं को, मीडिया हाउसेस व मीडिया कर्मियों को अपने मत-मतान्तरों, एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोपों को भूलकर राष्ट्र कल्याण, लोक कल्याण के लिए सामूहिक रूप से उद्यम करना होगा क्योंकि ये राष्ट्र सभी का है, सभी दल और दलपति देश और देशवासियों के रक्षण, पोषण, संवर्धन के लिए वचनबद्ध हैं. हमें स्मरण रखना चाहिए- स्त्री का शोषण, उसके ऊपर किया गया अत्याचार, उसका दमन, उसका अपमान…आधी मानवता पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर एक कलंक की भांति है.’’

‘पूरे देश की बेइज्जती हो रही है’

इस बीच राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए गुरुवार को कहा कि यह घटना किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है और इससे पूरे देश की बेइज्जती हुई है.

संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले, मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों को विश्वास दिलाया कि इस मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और कानून सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा.

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है…इसके दोषियों को कभी माफ नहीं किया जा सकता है.’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं इस लोकतंत्र के मंदिर के पास खड़ा हूं तब मेरा ह्रदय पीड़ा से भरा हुआ है, क्रोध से भरा हुआ है. मणिपुर की जो घटना सामने आई है वह किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है. पाप करने वाले, गुनाह करने वाले कितने हैं, और कौन-कौन हैं, वह अपनी जगह पर है… लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है. 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है.’’

प्रधानमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों से अपने-अपने राज्यों में कानून-व्यवस्था को और मजबूत करने और खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, ‘‘घटना चाहे राजस्थान की ही, घटना चाहे छत्तीसगढ़ की हो, चाहे मणिपुर की हो…. इस देश में हिंदुस्तान के किसी भी कोने में किसी भी राज्य सरकार को राजनीतिक वाद-विवाद से ऊपर उठकर कानून व्यवस्था को महत्व देना चाहिए और नारी के सम्मान की रक्षा करनी चाहिए.’’

मोदी ने कहा, ‘‘मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. कानून पूरी सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा.’’

ज्ञात हो कि मणिपुर में करीब दो माह से जातीय हिंसा हो रही है. इस मुद्दे पर पहली बार प्रधानमंत्री ने कुछ बोला है.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेइ समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है.

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