देहरादून/मसूरी। मसूरी नगर पालिका में सफाई के नाम पर घोटाले करने और सफाई कर्मियों/पर्यावरण मित्रों को श्रम कानूनों के तहत न्यूनतम मजदूरी न देने की शिकायत पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने जांच बैठा दी है। शिकायतकर्ता शेखर पांडेय की शिकायत पर सीएम कार्यालय ने श्रम विभाग को मामले की जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
शेखर पांडेय का आरोप है कि मसूरी नगर पालिका ने वर्ष 2019 में सफाई का कार्य कीन नाम की संस्था को नियम विरूद्व एक साल के बजाय सीधे 05 साल के लिए आवंटित कर दिया। श्रम कानूनों के मुताबिक आउटसोर्स संस्था द्वारा लगाए गए सफाई कर्मियों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जा रही है। इसमें संस्था व नगर पालिका दोनों की ही मिलीभगत है। संस्था के साथ हुए अनुबन्ध के अनुसार हर साल एक कमेटी द्वारा समीक्षा करने के बाद संस्था को सेवा विस्तार दिया जाना है, लेकिन कमेटी कैसे श्रम कानूनों का पालन न किए जाने के बावजूद संस्था को ही सेवा विस्तार दे रही है, यह सवालों के घेरे में है।
नियमानुसार कर्मचारियों को न्यूनतम 500 रूपये मजदूरी के हिसाब से भुगतान के साथ सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, लेकिन मजदूरों को मात्र 275 रूपये का भुगतान किया जा रहा है। दूसरी ओर नगर पालिका हर माह नगर पालिका क्षेत्र से लाखों रूपये कूड़ा उठान शुल्क के नाम पर व्यवसायियों व घरों से वसूल कर रही है। यह वूसली भी संस्था के माध्यम से की जा रही है। नगर पालिका द्वारा इसमें में भी पारदर्शिता नहीं रखी गई है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि इसमें भी नगर पालिका द्वारा बड़ा खेल किया जा रहा है। देश की सबसे अमीर नगर पालिकाओं में शुमार होने के बावजूद भी सफाई कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। शिकायतकर्ता ने सरकार से इस घोटाले की तह में जाने के लिए सफाई के नाम पर चल रहे खेल को बेपर्दा करने के लिए विशेष आडिट कराने की मांग भी की है।