November 24, 2024

Congress leader Rahul Gandhi addresses the Indian diaspora during an event at Hounslow, in West London | PTI

नई दिल्ली: ‘इंडिया’ गठबंधन ने अपनी समन्वय समिति की पहली बैठक में उन न्यूज़ एंकरों की एक सूची बनाने का फैसला किया है, जिनके शो का गठबंधन के दलों द्वारा बहिष्कार किया जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बेंगलुरु और मुंबई की बैठकों में संकेत दिया था कि गठबंधन के घटकों के बीच ‘प्रोपगैंडा’ मीडिया का मुकाबला करने की रणनीति पर भी चर्चा की जाएगी.

समन्वय समिति ने मुंबई बैठक के बाद गठित मीडिया सब-कमेटी को उन टेलीविजन (टीवी) एंकरों का नाम देने और उनका बहिष्कार करने के लिए अधिकृत किया, जो कथित तौर पर विपक्षी दलों के प्रति शत्रुतापूर्ण रहे हैं.

समन्वय समिति की बैठक में भाग लेने वाले सभी 12 दलों की ओर से बोलते हुए कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘समन्वय समिति ने मीडिया सब-कमेटी को उन एंकरों के नाम तय करने के लिए अधिकृत किया है जिनके शो पर ‘इंडिया’ गठबंधन का कोई भी दल अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगा.’

इस बैठक में सीट-बंटवारे पर पहले दौर की चर्चा भी हुई, जिसके जटिल होने की संभावना है. वेणुगोपाल ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन की 26 पार्टियों के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत को ‘जल्द से जल्द’ अंतिम रूप दिया जाएगा. महत्वपूर्ण रूप से उन्होंने यह भी जोड़ा कि गठबंधन देश में जाति जनगणना का मुद्दा उठाएगा.

जातिवार जनगणना

मुंबई बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में जाति जनगणना का मुद्दा स्पष्ट रूप से नदारद था.

कुछ ख़बरों में ऐसा होने की मूल वजह इस मुद्दे के बारे में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अनिर्णय की स्थिति को बताया गया था. हालांकि, कांग्रेस और अधिकांश क्षत्रप दल, विशेष रूप से समाजवादी पार्टी (सपा), जनता दल (यू) और राष्ट्रीय जनता दल जैसी समाजवादी पार्टियां पहले से ही देशभर में जातिवार जनगणना करवाए जाने पक्ष में अभियान चला रही हैं.

पिछले महीने मुंबई की बैठक से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उनके यहां राज्य स्तरीय जाति जनगणना पहले ही पूरी हो चुकी है और अंतिम रिपोर्ट जल्द ही सामने आनी चाहिए. अन्य विपक्षी दलों के भी जाति जनगणना की मांग में करने की संभावना है. यह एक ऐसा मुद्दा जो मोदी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है, जो इसके बारे में अनिर्णय की स्थिति में है.

यह पूछे जाने पर कि क्या गठबंधन के सभी दल जाति जनगणना के पक्ष में हैं, वेणुगोपाल ने कहा कि यह निर्णय बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों द्वारा लिया गया था. उन्होंने कहा, ”जो लोग यहां मौजूद हैं उन्होंने ये बातें तय कीं, हम दूसरों से भी बात करने जा रहे हैं.’

‘जांच एजेंसियों का दुरुपयोग’

बुधवार (13 सितंबर) की बैठक नई दिल्ली में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर हुई और इसमें 26 दलों के गठबंधन के बारह प्रतिनिधि- शरद पवार (एनसीपी), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), टीआर बालू (डीएमके), तेजस्वी यादव (राजद), संजय राउत (शिवसेना-उद्धव ठाकरे), संजय झा (जदयू), हेमंत सोरेन (झामुमो), राघव चड्ढा (आप), डी. राजा (सीपीआई), उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी) और जावेद अली (समाजवादी पार्टी) शामिल थे.

टीएमसी के अभिषेक बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हो सके क्योंकि उन्हें कोलकाता में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने समन किया हुआ था.

वेणुगोपाल ने अभिषेक बनर्जी की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए विपक्षी नेताओं के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग की आलोचना की.

उन्होंने कहा, ‘अभिषेक बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हो सके क्योंकि उन्हें ईडी ने समन किया है- जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री की प्रतिशोध की राजनीति का नतीजा है.’

बनर्जी राज्य में स्कूल नौकरियों घोटाले की जांच के सिलसिले में ईडी के सामने पेश हुए थे. इससे पहले उनकी पार्टी ने ट्विटर पर लिखा था कि वे ‘धमकाने की तरकीबों के संबे नहीं झुकेंगे.’

पहली संयुक्त रैली

बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने इस बात का ज़िक्र किया कि सीट बंटवारे की व्यवस्था में ऐसी सीटों पर ध्यान होना चाहिए, जहां  इंडिया’ गठबंधन के दलों के पास सीट नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैंने जो प्रस्ताव रखा और जिस बात पर हमें चर्चा करनी होगी उनमें से एक यह है कि जो सीटें पहले से ही ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों के पास हैं, उन पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. हमें उन सीटों पर चर्चा करनी चाहिए जो भाजपा या एनडीए या उन पार्टियों के पास हैं जो इनमें से किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. क्योंकि जो सीटें गठबंधन सदस्यों के पास हैं, उन पर तब तक चर्चा नहीं होनी चाहिए जब तक कि जिस पार्टी के पास वो सीट हैं, वो इसे छोड़ने को तैयार न हो.’

गठबंधन ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में चुनावी राज्य मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अपनी पहली संयुक्त रैली आयोजित करने का भी फैसला किया. कहा गया है कि वहां ‘बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और भाजपा के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार’ के मुद्दों को उठाया जाएगा.

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