क्या मोदी सरकार संविधान को बदल रही है या बदलने वाली है? यह चर्चा काफी समय से चल रही है। इसी बीच लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया है कि नई संसद में प्रवेश से पहले 19 सितंबर को सभी सांसदों को मोदी सरकार की तरफ से संविधान की जो प्रति दी गई है, उसकी प्रस्तावना में से ‘सोशलिस्ट-सेक्युलर’ शब्द हटा दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि वे इस बात को कल ही संसद में उठाने वाले थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया। अधीर रंजन चौधरी ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि यह एक खतरनाक बात है।
उन्होंने संविधान की प्रस्तावना का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान की प्रस्तावना में से ऐसे शब्दों को हटाया जाना गंभीर मुद्दा है।
बता दें कि संविधान की प्रस्तावना (इसे उद्देशिका भी कहा जाता है) में लिखा है, “हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उ सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 को एतद्द द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मसमर्पित करते हैं।”
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि “हमें पता है कि सोशलिस्ट-सेक्युलर शब्द संविधान में 1976 में संशोधन के जरिए शामिल किए गए थे। और ये शब्द तब से ही संविधान का हिस्सा है। लेकिन इन्हें हटाया नहीं जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि ऐसा करने के पीछे सरकार की मंशा कुछ और है क्योंकि सरकार ने बड़ी चालाकी से इन शब्दों को हटा दिया है। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को संसद में उठाना चाहते थे, लेकिन मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि कल जब सभी सांसद पुरानी इमारत से नई इमारत की तरफ रवाना हुए तो अधीर रंजन चौधरी ने संविधान की प्रति उठा रखी थी।