पश्चिम बंगाल राजभवन की एक महिला कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को निर्देश देने की मांग की है। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता ने न्यायालय से यह भी अनुरोध किया है कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत संवैधानिक व्यक्ति को प्राप्त छूट की सीमा तक दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं तथा योग्यता निर्धारित की जाए।
याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से इस संवैधानिक प्रतिरक्षा की सीमा तक दिशानिर्देश बनाने और योग्यता तय करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसी शक्तियां इतनी निरंकुश नहीं हो सकतीं कि वे राज्यपाल को अवैध कार्य करने में सक्षम बना दें।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा, “वास्तव में याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायतों को उजागर करते हुए राजभवन को एक शिकायत भी लिखी थी, लेकिन संबंधित अधिकारियों द्वारा निष्क्रियता के रूप में उसे अपमानित किया गया, और मीडिया में उसका मजाक उड़ाया गया तथा उसके आत्मसम्मान की कोई सुरक्षा किए बिना उसे एक राजनीतिक उपकरण बताया गया । “
इससे पहले 28 जून को राज्यपाल बोस ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जब ममता बनर्जी ने दावा किया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी कि उन्हें राजभवन जाने में डर लगता है।