मसूरी/देहरादून। घपले-घोटालों में आकंठ डुबकी लगा रहे नगर पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता के काले कारनामें मसूरी को स्वच्छ एवं सुंदर बनाए रखने की जिम्मेदारी संभालने वाले सफाई कर्मियों पर भारी पड़ रहे हैं। एक ओर जहां अनुज गुप्ता और उसकी भ्रष्ट मंडली के सरकारी कारकून एक के बाद एक बेरोकटोक घोटालों को अंजाम दे रहे हैं, तो दूसरी सफाई कर्मियों को सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी तक मयस्यर नहीं हो रही है। नियमों के अनुसार सफाई कर्मियों को करीब 500 रूपये दैनिक मजदूरी के हिसाब से भुगतान किया जाना चाहिए, लेकिन अनुज गुप्ता द्वारा सफाई कर्मियों को मात्र 275 रूपये की मजदूरी दी जा रही है. इस तरह मसूरी में कीन संस्था के माध्यम से सफाई व्यवस्था संभाल रहे 170 से अधिक पर्यावरण मित्रों को महीने में दस हजार रूपये भी पूरे नहीं मिल रहे हैं, जबकि नियमानुसार एक सफाई कर्मी/पर्यावरण मित्र को 15 हजार रूपये से अधिक का मासिक भुगतान किया जाना चाहिए। दूसरी तरफ नगर पालिका हर साल डोर-टू-डोर क्लेक्शन के नाम पर करोड़ों रूपये मसूरी के निवासियों से वसूली कर रही है। इस पैसे से सफाई कर्मियों को श्रम कानूनों के हिसाब से भुगतान करने के बजाय भ्रष्ट गुप्ता और उसकी मंडली उस पैसे को दूसरे-तीसरे कामों में लगाकर कमीशनखोरी कर अपना पेट भर रहे हैं।
नगर पालिकाध्यक्ष बनने के बाद अनुज गुप्ता ने वर्ष 2019 में डोर-टू-डोर कूड़़ा क्लेक्शन के लिए टेंडर जारी कर नगर पालिका द्वारा कीन नाम के एनजीओ को यह कार्य आवंटित कर दिया गया था। हिमालयन टीवी को प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक कीन संस्था द्वारा वर्तमान में सफाई कर्मियों के खाते में महीने में ईपीएफ व ईएसआई को काटकर मात्र साढ़े सात हजार रूपये ही दिए जा रहे हैं। करीब 2500 रूपये ईपीएफ व ईएसआई के नाम पर कटौती कर यह भुगतान सफाई कर्मियों को किया जा रहा है।
एक सफाई कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर हिमालयन टीवी को बताया कि उन्होंने कई बार न्यूनतम मजदूरी का सवाल उठाया, लेकिन नगर पालिका के अधिकारी नौकरी से निकलवाने की धमकी देकर हर बार चुप करवा लेते हैं। वे अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताते हैं कि राज्य में ऐसी कोई नगर पालिका या नगर पंचायत नहीं होगी जो सफाई कर्मियों को सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन न देती हो, लेकिन मसूरी जैसे देश की सबसे अमीर नगर पालिका में खुलेआम यह अंधेरगर्दी हो रही है। वे इसमें एक बड़े घोटाले की ओर इशारा करते हैं। वे बताते हैं कि सफाई कर्मियों के नाम पर नगर पालिका की ओर से एक बड़ी संख्या में कुछ ऐसे लोगों के खातों में पैसा डिपोजिट किया जाता है जो सफाई कार्य करते ही नहीं हैं। उनके मुताबिक यह पैसा घुमा फिराकर नगर पालिका से जुड़े कुछ लोगों के खातों में जा रहा है, इनमें कुछ कथित पत्रकार भी शामिल हैं।
सफाई कर्मचारी के ये आरोप गंभीर जांच का विषय हैं। जांच के बाद ही हकीकत से पर्दा उठ सकता है। कुल मिलाकर मसूरी में हर महीनों सफाई के नाम पर अनुज गुप्ता और उसकी मंडली के लोग सफाई कर्मियों का पेट काटकर लाखों की लूट कर मजे ले रहे हैं। यह अंधेरगर्दी कब तक चलती है, देखना बाकी है।
उधर, श्रम कानूनों के अनुसार कार्मिकों को भुगतान न किए जाने के सवाल पर कीन संस्था से जुड़े अशोक कुमार ने हिमालयन टीवी को बताया कि वर्ष 2019 में उन्होंने 275 रूपये प्रति मजदूरी की दर से यह ठेका हासिल किया था। वे उसी दर पर मजदूरी का भुगतान कर रहे हैं। यहां तक कि नगर पालिका द्वारा ईपीएफ व ईएसआई का भी भुगतान संस्था को नहीं किया जा रहा है. संस्था अपनी ओर से कर्मचारियों को ईपीएफ व ईएसआइ का लाभ देती है। संस्था का कहना है कि वे नगर पालिका के अध्यक्ष अनुज गुप्ता व अधिशासी अधिकारी से लिखित मे अनुरोध कर श्रम कानूनों के हिसाब से मजदूरी की राशि बढ़ाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन नगर पालिका ने अभी तक उसे स्वीकार नहीं किया। संस्था का कहना है कि नगर पालिका का सफाई कर्मियों के प्रति इस तरह का रवैया उचित नहीं है। संस्था चाहती है कि कर्मचारियों को सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी मिले।
कीन संस्था के इस स्पष्टीकरण से इतर एक बड़ा सवाल यह है कि पर्यावरण मित्रों को कानून के हिसाब से अगर कीन संस्था न्यूनतम वेतन नहीं दे पा रही है तो वह इस आपराधिक कृत्य से खुदको अलग क्यों नहीं कर लेती? क्यों नहीं पर्यावरण प्रेमी कहलाने वाले कीन संस्था के कर्ताधर्ता नगर पालिका से नया टेंडर जारी करने का अनुरोध कर खुद इस काम से पीछे हट लेते हैं? सफाई कर्मियों की कीमत पर न तो पर्यावरण की सुरक्षा हो सकती है और न ही स्वच्छ भारत मिशन की कल्पना ही साकार हो सकती है। यह भी किसी विडंबना से कम नहीं है कि एक ओर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाथ में झाडू़ लेकर सफाई कर्मियों के पांव धोकर वाहवाही लूटते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं की भाजपा के राज में मसूरी जैसी नगर पालिका मं सफाई कर्मियों को पूरी मजदूरी तक मयस्यर नहीं होती।
हिमालयन टीवी इस घोटाले की तह में जाएगी और आने वाली रिपोर्ट में इस घोटाले के दूसरे पक्षों को विस्तार से जनता के सामने रखेगी। सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी सफाई कर्मचारियों को मिले इस लड़ाई को हम पूरी शिददत के साथ मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए इस लड़ाई को भले ही अदालत की चौखट तक ले जाना पड़े। यह शर्मनाक है कि जो मसूरी पर्यटन के नाम पर खूब फल-फूल रहा है, जिसके बूते हजारों लोगों को रोजी-रोटी मिल रही है, उसको स्वच्छ रखने वालों को ही न्यूनतम मजदूरी तक मयस्यर नहीं हो रही है और अनुज गुप्ता और राजेश नैथानी जैसे लोग मनमानी से करोड़ों के टेंडर जारी कर कमीशनखोरी कर मजे लूट रहे हैं।