देहरादून/हरिद्वार। भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी का ढोल पीट रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नाक के नीचे सचिवालय में बैठी नौकरशाही कैसे-कैसे खेल खेल रही है उसकी एक बानगी शहरी विकास विभाग द्वारा मूल रूप से एक सफाई कर्मचारी के पद पर भर्ती हुए कार्मिक को अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर बैठाये जाने से समझा जा सकता है। नियमानुसार जिन पदों पर लोक सेवा आयोग से चयनित अधिकारियों को नियुक्ति किया जाना चाहिए उन पदों पर भी भ्रष्ट नेता और नौकरशाहों की मंडली मनमाने तरीके से विभाग में सबसे निचले पायदान पर खड़े कर्मचारी को नियुक्ति कर देती है। शहरी विकास विभाग में पिछले काफी समय से नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में ईओ की कुर्सी पर मनमाने तरीके से निम्न ग्रेड के कार्मिकों तक को तैनात करने का गोरखधंधा चल रहा है।
हरिद्वार स्थित शिवालिकनगर नगर पालिका में जिस सुभाष कुमार नाम के शख्स को पिछले आठ महीनों से अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर बैठाया गया है वह मूल रूप से खटीमा नगर पालिका में सफाई कर्मचारी के पद पर तैनात है। सवाल यह है कि धामी सरकार में ईमानदारी और पारदर्शिता की यह कौन सी गंगा बहाई जा रही है जिसमें सुभाष कुमार जैसे सफाई कर्मचारी किसी नगर पालिका में अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर विराजमान कर दिया जाता है। सुभाष कुमार की इस गैरकानूनी नियुक्ति के खिलाफ देहरादून निवासी शेखर पांडेय द्वारा राज्यपाल व मुख्यमंत्री को एक पत्र प्रेषित करते हुए गैरकानूनी नियुक्ति को निरस्त करने की मांग करते हुए जल्द ही हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की जा रही है।
लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले हुए फेरबदल में धामी सरकार ने खटीमा नगर पालिका से सुभाष कुमार को उठाकर सीधे शिवालिक नगर पालिका में अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर बैठा दिया। शहरी विकास विभाग द्वारा सुभाष कुमार पर बरसाई गई इस कृपा के पीछे क्या कुछ खेल हुआ यह किसी से छुपा नहीं है। अधिशासी अधिकारियों की नियुक्तियों के नाम पर शहरी विकास विभाग में वसूली का पूरा उद्योग लम्बे समय से चल रहा है। यह गोरखधंधा तक चल रहा है जबकि शासकीय नियमों के अनुसार नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में लोक सेवा आयोग से नियुक्ति अधिकारियों और विभाग से पदोनत्ति प्राप्त वरिष्ठ अधिकारियों को ही अधिशासी अधिकारी के पदों पर नियुक्ति किया जा सकता है। इसके बावजूद सुभाष कुमार जैसे विभाग में सबसे निचले पायदान के कर्मचारियों को अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर बैठाया गया है।
मुख्यमंत्री से अपने संबंधों की शेखी बघारने वाले सुभाष कुमार को अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर तैनाती से सरकार की कार्यप्रणाली की पोल खुल जाती है। अगर यह मामला हाईकोर्ट में जाता है कि सरकार की किरकिरी होना तय है। आखिर जब लोक सेवा आयोग से 57 नये अधिकारियों की नियुक्ति और विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों की फौज होने के बावजूद आखिर सुभाष कुमार जैसे लोग कैसे अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर बैठाये गए हैं।
शहरी विकास विभाग में बड़ी संख्या में ऐसे अधिकारी मौजूद हैं जो अधिशासी अधिकारी के पद के लिए योग्य होने के बावजूद किनारे बैठाये गए हैं। शेखर पांडेय का कहना है कि मूल रूप से एक सफाई कर्मचारी के पद पर भर्ती हुए सुभाष कुमार जिसकी खटीमा नगर पालिका में नियुक्ति ही विवादों के घेरे में रही है. शिवालिकानगर पालिका में अधिशासी अधिकारी के पद पर नियुक्त सुभाष कुमार की नियुक्ति अगर सरकार द्वारा जल्द ही निरस्त नहीं की जाती है तो वे माननीय हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।