नगर पालिका के अध्यक्ष व ईओ की उम्मीदों पर फिरा पानी
एक्टिविस्ट शेखर पांण्डेय की याचिका पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
नैनीताल। मासोनिक लॉज प्रकरण को लेकर एक्टिविस्ट शेखर पांडेय की ओर से दायर पीआईएल पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नगर पालिका मसूरी की दलीलें खारिज करते हुए याचिका को स्वीकार करते हुए शासन, नगर पालिका व एमडीडीए को नेाटिस जारी कर विस्तृत जवाब तलब किया है। करीब एक घंटे से अधिक समय तक चली बहस के बीच नगर पालिका ने अपनी दलीलों में पूरी कोशिश की कि याचिका को खारिज कर लिया जाए, लेकिन मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने सात मंजिला भवन की वैधानिकता को लेकर नगर पालिका से एक के बाद एक तीखें सवाल करते हुए पालिका की दलीलों को खारिज कर याचिका को स्वीकार करते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिए हैं। याचिका में उठाए गए सवालों पर एमडीडीए, नगर पालिका व शासन की ओर से जवाबनामा दाखिल होने के बाद अगली तिथि पर मामले की सुनवाई होगी। अदालत ने सुनवाई के लिए अब 2 नवम्बर की तिथि मुकर्रर की है।
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नवनीश नेगी ने अदालत को बताया कि उत्तराखण्ड भवन निर्माण नियमों के तहत मसूरी और नैनीताल जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में 11 मीटर उंचाई व तीन मंजिल तक ही भवन निर्माण की अनुमति है, लेकिन मसूरी में नगर पालिका द्वारा बिना मंजूरी के सात मंजिला मल्टीस्टोरी आवासीय व व्यवसायिक भवन खड़ा कर दिया गया। यहीं नहीं यह सब पार्किंग के नाम पर किया गया है।
नगर पालिका को कोर्ट में स्वीकार करना पड़ा है कि पार्किंग के साथ आवासीय व व्यावसायिक निर्माण किया गया है। कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर बिना नक्शा पारित कराए निर्माण कैसे हो सकता है? इस पर नगर पालिका के अधिवक्ता ने दलील दी कि नियमों के तहत नगर पालिका ने डीपीआर एमडीडीए को दी थी, लेकिन तय समय में उस पर फैसला न होने से पालिका को अधिकार है कि वह निर्माण कर सकती है। पालिका के इस तर्क पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नवनीश नेगी ने कहा कि एमडीडीए को केवल पार्किंग की सूचना दी गई थी, न की आवासीय निर्माण की। उत्तराखंण्ड नगर विकास प्राधिकरण हुडा की कोर्ट अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर पूरे निर्माण को गैरकानूनी करार दे चुका है। श्री नेगी ने दलील दी कि मुख्य सवाल उत्तराखण्ड बिल्डिंग कन्सट्रक्शन कोड के नियमों का पालन करने को लेकर है।
अधिवक्ता नवनीश नेगी ने कहा कि मसूरी में 11 मीटर उंचाई व तीन मंजिल से अधिक का निर्माण कैसे हो सकता है? यह पार्किंग की आड़ में गैरकानूनी तरीके से आवासीय व व्यवसायिक निर्माण का मामला है। याचिकाकर्ता की दलीलों को देखते हुए कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाबनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट द्वारा याचिका को स्वीकार कर नोटिस जारी करने के साथ ही नगर पालिका के अध्यक्ष अनुज गुप्ता व अधिशासी अधिकारी राजेश नैथानी की उम्मीदों पर पानी फिर गया है जिसमें वे मान रहे थे इस प्रकरण में फैसला उनके पक्ष में होने ही वाला है।
वहीं इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा दुकानों व आवासों के आवंटन पर पूर्व में ही रोक लगाई जा चुकी है। इसके बावजूद मासोनिक लॉज की दुकानों व आवासों पर गैरकानूनी तरीके से बिना आधिकारिक आवंटन के ही अवैध कब्जे करा लिए गए हैं। याचिकाकर्ता शेखर पांडेय ने बताया कि आवास/दुकानों के आवंटन या किसी भी तरह के अवैध कब्जे कराये जाने पर रोक के बावजूद आधिकारिक आवंटन न कर अवैध कब्जे करा लिए गए है जो कि हाईकोर्ट की अवमानना है। श्री पांण्डेय ने बताया कि वे हाईकोर्ट की अवमानना को लेकर जल्द ही पालिका के अधिशासी अधिकारी राजेश नैथानी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेंगे।