देहरादून/मसूरी। कमीशनखोरी के लिए नियमों को ताक पर रखकर बिना नक्शा पास कराए पार्किंग की आड़ में मासोनिक लॉज में सात मंजिला आवासीय बिल्डिंग खड़ा करने वाले अनुज गुप्ता पर सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। शासन के आदेश पर कमिश्नर स्तर पर इस घोटाले की जांच शुरू हो गई हैं। नगर विकास प्राधिकरण द्वारा पूरे मासोनिक लॉज बिल्डिंग को अवैध करार दिए जाने के बाद अब कमिश्नर ने एमडीडीए के उन इंजीनियरों से स्पष्टीकरण तलब किया है जिनके मसूरी में तैनाती के दौरान यह सात मंजिला अवैध निर्माण किया गया। मुख्य सचिव के आदेश पर 25 मई को अपर आयुक्त नरेन्द्र सिंह की ओर से एमडीडीए को नोटिस जारी कर वर्ष 2011 से 2019 तक इस घोटाले से जुड़े इंजीनियरों से जवाब तलब किया था। उक्त नोटिस में त्रुटिवश 2019 की डेटलाइन चली गई थी। शिकायतकर्ता शेखर पांडेय द्वारा 30 मई को इस संबन्ध में एक प्रतिवेदन कमिश्नर को सौंपते हुए बताया गया कि मासोनिक लॉज में सात मंजिला बिल्डिंग का निर्माण ही 2019 के बाद वर्तमान तक इन तीन वर्षो में ही पूरा हुआ है। इसका संज्ञान लेते हुए इन्क्वायरी कमिश्नर ने एमडीडीए को 31 मई को एक नया नोटिस जारी करते हुए 2019 से वर्तमान तक मसूरी में तैनात सभी इंजीनियरर्स से 15 जून तक जवाब तलब किया है।
शेखर पांडे द्वारा अपने प्रतिवेदन में बताया गया कि 2011 में पार्किंग निर्माण का कार्य शुरू हुआ था, लेकिन उसके बाद 2019 तक शुरूआती कार्य के बाद काम बंद पड़ा हुआ था। नगर पालिका ने खुद इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसकी मुख्य वजहों में से एक मजदूर भवन की पांच मंजिला जर्जर हो चुकी बिल्डिंग थी, जिसके कारण एमडीडीए द्वारा नक्शा भी पारित नहीं किया गया। नगर पालिका द्वारा ही इस बिल्डिंग को 2006 में ही जर्जर घोषित करते हुए वहां निवास कर रहे लोगों को अन्यत्र पुनर्वासित करने को जरूरी बताया गया था। लेकिन एकाएक 2020 में पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता द्वारा एमडीडीए से बिना नक्शा पास कराए अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए पाकिंग के बजाय आवासीय बिल्डिंग का निर्माण शुरू कर दिया गया। गजब तो यह है कि मासोनिक लॉज बिल्डिंग निर्माण को लेकर नगर पालिका द्वारा 2020 से वर्तमान तक 4 बार टेंडर जारी किए गए और चारों ही टेंडर मिलीभगत कर गुप्ता के चहेते ठेकेदार चन्दन सिंह रावत को ही अलॉट किए गए। इस पूरे प्रकरण के शिकायतकर्ता शेखर पांडे द्वारा भ्रष्ट गुप्ता के इस चहेते ठेकेदार के पक्ष में जारी हुए चारों टेंडर के वर्क आर्डर की कॉपी भी कमिश्नर गढ़वाल को सौंप दी गई है।
इस तरह जिस स्थान पर पूर्व में पार्किंग प्रस्तावित थी, भ्रष्ट गुप्ता द्वारा सात मंजिला आवासीय व व्यावसायिक भवन खड़ा कर दिया गया। पाकिंग के नाम पर बिल्डिंग की पांचवी मंजिल पर पार्किग बना दी गई। भ्रष्ट गुप्ता के इस कारनामें का आश्चर्यजनक पहलू एक यह भी है कि यह देश की पहली मल्टीस्टोरी हाउसिंग बिल्डिंग है जिसकी पांचवी मंजिल पर भूकंपीय दृष्टि से जोन-4 में होने के बावजूद लोगों की सुरक्षा को धता बताते हुए वाहन पार्किंग बना दी गई।
इस पूरे कारनामें को अंजाम देने के लिए भी अनुज गुप्ता हाईकोर्ट की आड़ लेने में भी बाज नहीं आ रहा है। अनुज गुप्ता द्वारा बकायदा एमडीडीए व जिलाधिकारी को पत्र लिखकर लगातार झूठ बोला जा रहा है कि हाईकोर्ट ने मासोनिक लॉज के निर्माण में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न न करने के आदेश जारी किए हैं।
हाईकोर्ट के नाम पर गुप्ता का यह फर्जीवाड़ा अभी कितने दिनों तक चलता है यह देखने वाली बात होगी। गुप्ता और उसके मातहत काम करने वाले अधिशासी अधिकारी रहे यूडी तिवारी व राजेश नैथानी की आपसी सांठगांठ से चल रहे इस घोटाले की परतें जल्द ही कमिश्नर के साथ ही हाईकोर्ट में खुलने वाली हैं। इस बाबत सामने आए नये तथ्यों के साथ एक नई रिट हाईकोर्ट में दाखिल होने वाली है। घोटालेबाज गुप्ता व उसके सहयोगियों की असली जगह जेल है और वह उसका इंतजार कर रही है।
देखना बस इतना है कि यह लड़ाई आखिर कितने दिनों, कितने महीनों या सालों में अपने अंजाम तक पहुंचती है। हाईकोर्ट के नाम पर गुमराह करना इन घोटालेबाजों को भारी पड़ना तय है। आखिर घोटालेबाज कब तक खैर मनाएंगे!