नैनीतालः उत्तराखण्ड हाईकोर्ट में नियमों को ताक पर रखकर मसूरी में सात मंजिला आवासीय/व्यवसायिक भवन खड़ा करने की जांच को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की।
एक्टिविस्ट शेखर पाण्डेय की ओर से दायर पीआईएल पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में डबल बेंच मेें सुनवाई हुई। नगर पालिका ने यह कहते हुए याचिका में उठाये गए बिन्दुओं का विरोध किया कि यह मामला मासोनिक लॉज से अलग है। याचिका में उत्तराखण्ड नगर विकास प्राधिकरण की कोर्ट द्वारा मासोनिक लॉज के सात मंजिला निर्माण को अवैध घोषित किए जाने के बाद भी मासोनिक लॉज के अवशेष कार्य को पूरा करने के नाम पर नगर पालिका द्वारा 2 करोड़ रूपये का टेंडर जारी करने पर सवाल उठाया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जब मसूरी में 11 मीटर उंचाई व तीन मंजिल तक के ही भवन निर्माण की अनुमति है तो फिर कैसे सात मंजिला निर्माण कर 80 से अधिक आवासीय व 20 से अधिक व्यवसायिक दुकानें बना दी गई। यहीं नहीं एमडीडीए से इसके लिए कोई नक्शा भी पारित नहीं कराया गया। याचिका में इस प्रकरण की जांच कराते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। इस मामले में पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता व अधिशासी अधिकारी राजेश नैथानी की भूमिका सवालों के घेरे मंे हैं।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नवनीश नेगी ने नगर पालिका की दलील को खारिज करते हुए कहा कि मासोनिक लॉज में जो भी निर्माण किया जा रहा है वह गैरकानूनी है और नगर विकास प्राधिकरण का आदेश मासोनिक लॉज के सम्पूर्ण निर्माण पर लागू होता है। इस पर मुख्य न्यायधीश और जस्टिस राकेश थपलियाल की डबल बेंच ने कोर्ट द्वारा पूर्व में ही मामले में हस्तक्षेप करने के बाद भी निर्माण कार्य चालू होने पर कड़ा रूख अपनाते हुए नगर पालिका की दलील को देखते हुए एमडीडीए से स्पष्टीकरण तलब किय है। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल 20 जून को निर्धारित की है। याचिकाकर्ता के वकील नवनीश नेगी ने बताया कि कोर्ट ने नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर हैरानी जताते हुए याचिका पर सुनवाई एमडीडीए के स्पष्टीकरण के साथ कल निर्धारित की है।