उत्तराखंड की तीर्थ नगरी हरिद्वार में वार्षिक कांवड़ यात्रा समाप्त होने को बाद 30,000 मीट्रिक टन कचरा जमा हो गया है. इस वर्ष रिकॉर्ड 4 करोड़ शिव भक्त हरिद्वार पहुंचे थे. कचरे को साफ करने के लिए अधिकारी ओवरटाइम कर रहे हैं. हर-की-पैड़ी से 42 किलोमीटर लंबे कांवड़ मार्ग पर गंगा घाट, बाजार, पार्किंग स्थल और सड़कें कूड़े से अटी पड़ी थीं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि वे कचरे को हटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन शहर को पूरी तरह से साफ करने में कई हफ्ते लग सकते हैं.
हरिद्वार नगर आयुक्त दयानंद सरस्वती ने कहा कि कूड़ा-कचरे की सफाई शनिवार (15 जुलाई) से शुरू हुई है. उन्होंने कहा, ‘गंगा घाटों, सड़कों, पुलों, पार्किंग स्थलों और अस्थायी बस स्टैंड की चौबीसों घंटे सफाई की जा रही है. हमने समयबद्ध सफाई के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर 600 कर दी है. हमने मेला क्षेत्र में कीटनाशकों का छिड़काव और फॉगिंग भी शुरू कर दी है.’
अधिकारियों ने बताया कि सामान्य तौर पर हरिद्वार में प्रतिदिन 200-300 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है, जो कांवड़ यात्रा और अन्य त्योहारों के दौरान बढ़कर 500-2000 टन तक पहुंच जाता है.
लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, ऋषिकेश और गोमुख जैसे स्थानों से गंगा का पवित्र जल लाने के लिए वार्षिक कांवड़ यात्रा करते हैं. वे स्थानीय शिव मंदिरों में चढ़ाने के लिए अपने कंधों पर जल ले जाते हैं.
अधिकारियों ने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान सात दिनों की बारिश के कारण कचरा संग्रहण और निपटान भी प्रभावित हुआ. हरिद्वार नगर निगम ने 40 अतिरिक्त कचरा ढोने वाले वाहनों को सफाई अभियान में लगाया है, जिससे उनकी संख्या 140 हो गई है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह और सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने रविवार को हरिद्वार के विष्णु घाट पर सफाई अभियान भी चलाया.
उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद महाराज ने कहा कि यदि कोई तीर्थयात्री पवित्र गंगा, घाटों या पूजा स्थलों को प्रदूषित करता है तो तीर्थयात्रा को पूरी तरह से सफल नहीं माना जाता है.
उन्होंने कहा, ‘वैदिक शास्त्रों में हर-की-पैड़ी या प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों के पास रहना भी उचित नहीं माना जाता है, क्योंकि ऐसे पवित्र स्थानों की पवित्रता प्रभावित होती है. भक्तों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ऐसा कोई भी अधार्मिक कार्य न करें.’