July 27, 2024

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार जाति जनगणना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ताओं के तर्क को खारिज कर दिया है कि यह एक नागरिक की निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है.

चूंकि डेटा एकत्र करने की कवायद 6 अगस्त को पूरी हो चुकी थी, इसलिए इसका विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं ने सार्वजनिक डोमेन में डेटा जारी या अपलोड करने पर रोक लगाने के लिए शीर्ष अदालत से आदेश मांगा. हालांकि, अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी.

द हिंदू के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘जब किसी से उसकी जाति या उप-जाति बताने के लिए कहा जाता है तो निजता का अधिकार कैसे प्रभावित होता है? वह व्यक्तिगत डेटा जनता के लिए जारी नहीं किया जाता है… जो जारी किया जाता है वह संचयी आंकड़े हैं.

हालांकि, एनजीओ यूथ फॉर इक्वेलिटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि सर्वे के नाम पर लोगों को ‘अपनी जाति बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.’

इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘आपकी जाति आपके पड़ोसियों को पता है… सर्वे में पूछे गए 17 प्रश्नों में से कौन सा प्रश्न गोपनीयता का उल्लंघन है?’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *