
SBI had filed an application to extend time to disclose the details of each electoral bond encashed by political parties till June 30 | PTI/Shutterstock
नई दिल्ली: देश के तीन वामपंथी दल – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन – 2023 में भारत के चुनाव आयोग को बताया है कि उन्हें चुनावी बॉन्ड के जरिये से कोई पैसा नहीं मिला है.
रिपोर्ट के अनुसार, सीपीआई (एम) ने चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत से ही इसके विरोध में आवाज उठाई है. हमने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई भी चंदा स्वीकार नहीं करने का फैसला किया था. इस सैद्धांतिक रुख के अनुरूप, पार्टी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई चंदा नहीं मिला है.
पार्टी ने अध्यक्ष सीताराम येचुरी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा, ‘आप यह भी जानते होंगे कि चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाले तीन मामले सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं, जिनमें से एक सीपीआई (एम) का है.’
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, सीपीआई ने चुनावी बॉन्ड योजना को गैर-पारदर्शी बताते हुए बताया कि उन्होंने बॉन्ड के माध्यम से कोई चंदा स्वीकार नहीं किया है.
सीपीआई ने 23 मई, 2019 के दस्तावेज़ में कहा, ‘हम आपको सूचित करना चाहेंगे कि हमारी पार्टी ने चुनावी बॉन्ड स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है क्योंकि ये गैर-पारदर्शी हैं. हमें कोई चुनावी बॉन्ड नहीं मिला.’
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रविवार (17 मार्च) को चुनाव आयोग द्वारा इन जानकारियों को सार्वजनिक किया गया. नेशनल पीपुल्स पार्टी, जो मेघालय में सत्तारूढ़ है, एक और राष्ट्रीय पार्टी है जिसे चुनावी बॉन्ड से कोई चंदा नहीं मिला.