December 7, 2024

नई दिल्ली: बीते सोमवार (12 फरवरी) को केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक आम सहमति बनाने में विफल रहने के बाद किसान नेताओं ने मंगलवार (13 फरवरी) को ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू कर दिया.

भारत के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसानों ने हरियाणा और दिल्ली में पुलिस की व्यापक तैयारियों के बीच मंगलवार को ‘दिल्ली चलो’ मार्च के रूप में यह विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. इसके मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर धारा 144 लागू करने के साथ व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हजारों किसानों का कहना है कि वे लंबा प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं. उनके पास महीनों तक चलने वाला पर्याप्त राशन और डीजल है, क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाएं सील कर दी गई हैं.

ताजा विरोध उनके 2020 के विरोध प्रदर्शन का अगला कदम है, जिसमें उन्होंने 13 महीने तक सीमा बिंदुओं पर डेरा डाला था, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था.

केंद्र ने 9 दिसंबर 2021 को उनकी अन्य लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की थी. उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक साल से अधिक समय से चल रहे उनके आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों ने मंगलवार सुबह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से अपना मार्च शुरू किया है. किसानों ने कहा कि धैर्य की परीक्षा उन्हें तब तक अपना प्रदर्शन जारी रखने से नहीं रोकेगी, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.

किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से अंबाला के पास शंभू सीमा की ओर बढ़ रहे हैं.

पंजाब के गुरदासपुर से विरोध प्रदर्शन में शामिल किसान हरभजन सिंह अपने ट्रैक्टर पर सामान से भरी दो ट्रॉलियां खींचकर दिल्ली जा रहे हैं. एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘सुई से लेकर हथौड़े तक हमारी ट्रॉलियों में वह सब कुछ है, जो हमें चाहिए, जिसमें पत्थर तोड़ने के उपकरण भी शामिल हैं. हम अपने साथ छह महीने का राशन लेकर अपने गांव से निकले है. हमारे पास पर्याप्त डीजल, यहां तक कि हरियाणा के अपने भाइयों के लिए भी है.’

किसान आरोप लगा रहे हैं कि ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों का उपयोग करके उनके मार्च को विफल करने के लिए उन्हें डीजल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. सिंह ने कहा कि वह 2020 के किसानों के विरोध का हिस्सा थे. वे इस बार तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.

उन्होंने कहा, ‘पिछली बार हम 13 महीने तक नहीं झुके. हमसे वादा किया गया था कि हमारी मांगें पूरी की जाएंगी, लेकिन सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया. इस बार हम अपनी सभी मांगें पूरी होने के बाद ही वहां से हटेंगे.’

दिल्ली में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए

कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लागू की है, जो ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बड़ी सभाओं के प्रवेश पर रोक लगाती है.

एनडीटीवी के अनुसार, किसानों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की किलेबंदी कर दी गई है. प्रमुख सीमा बिंदुओं – गाजीपुर, टिकरी और सिंघू – पर बैरिकेडिंग कर दी गई है.

इसके अलावा ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों को शहर में घुसने से रोकने के लिए सड़कों पर कंक्रीट के ब्लॉक और कीलें लगाई गई हैं. पुलिस ने पूरे शहर में सार्वजनिक समारोहों पर एक महीने का प्रतिबंध भी लगाया है. कई मार्ग परिवर्तन और पुलिस जांच चौकियों के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों से भारी यातायात जाम की सूचना मिली है.

केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार को बैठक विफल होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दूसरे चरण का नेतृत्व कर रहे हैं.

किसानों ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने और उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने की मांग भी की है.

द मिंट के अनुसार, नेताओं ने दावा किया है कि 200 से अधिक संगठनों के किसान इसमें शामिल होंगे और राष्ट्रीय राजधानी में इकट्ठा होंगे. उन्होंने दावा किया है कि किसान भारत के सभी हिस्सों से आते हैं, लेकिन रिपोर्टों के अनुसार, 90% से अधिक किसान हरियाणा और दिल्ली से होने की उम्मीद है.

दिल्ली और हरियाणा में प्रशासन किसानों के विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए विस्तृत प्रावधान कर रहा है.

दिल्ली सीमा सहित विभिन्न स्थानों पर धारा 144 लागू है और पुलिस ने किसान समूहों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने का प्रयास करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.

पुलिस ने कई स्थानों पर मजबूत बैरिकेड्स और बाड़ लगा दी है और किसी भी अप्रिय घटना के लिए तैयार रहने के लिए अपने आंसू गैस के गोले का परीक्षण भी कर रही है. इस बीच पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े हैं.

इस प्रदर्शन के मद्देनजर बवाना स्टेडियम को जेल बनाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को दिल्ली सरकार ने खारिज कर दिया है. केंद्र के प्रस्ताव पर दिल्ली सरकार के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, ‘किसानों की मांगें वास्तविक हैं. शांतिपूर्ण विरोध करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है, इसलिए किसानों को गिरफ्तार करना गलत है.’

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