October 6, 2024

नई दिल्ली: केरल के औषधि नियंत्रण विभाग ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद उत्पादों के निर्माता दिव्य फार्मेसी पर मुकदमा चलाने का संकेत दिया है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, कन्नूर स्थित नेत्र रोग विशेषज्ञ केवी बाबू की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए राज्य के शीर्ष दवा नियामक ने कहा है कि उन्होंने विज्ञापनों के 29 उदाहरणों का दस्तावेजीकरण किया है, जो कथित तौर पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम [डीएमआर अधिनियम] 1954 का उल्लंघन करते हैं.

पतंजलि उत्पादों के विज्ञापनों में दावा किया गया है कि साक्ष्य-आधारित आयुर्वेदिक दवाएं अन्य बीमारियों के अलावा हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को ठीक कर सकती हैं. डीएमआर अधिनियम हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज सहित कुछ स्वास्थ्य विकारों के इलाज के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है.

राज्य औषधि नियंत्रक के. सुजीत कुमार ने द टेलीग्राफ को बताया, ‘हमने डॉ. बाबू की शिकायत के आधार पर इन विज्ञापनों पर कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है.’ विभाग ने केरल भर में अपने उप-कार्यालयों से जांच में तेजी लाने और अदालतों में आरोप-पत्र दाखिल करने को कहा है.

पतंजलि आयुर्वेद ने किसी भी भ्रामक विज्ञापन को जारी करने से इनकार किया है, इसका ताजा दावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते मंगलवार (21 नवंबर) को कंपनी को चेतावनी देने के एक दिन बाद दिया गया है कि उसके उत्पादों के माध्यम से स्थायी इलाज का दावा करने वाले प्रत्येक भ्रामक विज्ञापन के लिए एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

रामदेव ने बीते बुधवार (22 नवंबर) को कहा, ‘हमने गलत सूचना नहीं फैलाई है.’ उन्होंने दावा किया कि आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा एकीकृत और साक्ष्य-आधारित उपचार प्रणालियों के माध्यम से नियंत्रण और इलाज प्रदान करते हैं. उन्होंने दावा किया, ‘यह झूठ नहीं है, यह सच है.’

रामदेव ने कहा, ‘अगर हम झूठ बोल रहे हैं, तो आप जो चाहें, हम पर जुर्माना लगाएं, हम मौत की सजा भी स्वीकार करेंगे.’ उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन अगर हम झूठ नहीं बोल रहे हैं, तो उन लोगों को दंडित करें जो हमारे खिलाफ गलत प्रचार कर रहे हैं.’

इस महीने केरल ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट द्वारा विज्ञापनों पर कार्रवाई शुरू की गई. बाबू ने 2022 की शुरुआत में केंद्रीय आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मंत्रालय को सतर्क किया था. उन्होंने (पतंजलि उत्पादों से जुड़े) विज्ञापन को लेकर आरोप लगाया था कि ये डीएमआर अधिनियम में शामिल कई स्वास्थ्य विकारों के इलाज का दावा करके इसका उल्लंघन करते हैं.

आयुष मंत्रालय ने बाबू की शिकायत का हवाला देते हुए अप्रैल 2022 में उत्तराखंड राज्य के अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए लिखा था.

बाबू ने कहा, ‘मेरी शिकायत के बाद 18 महीनों में न तो आयुष मंत्रालय और न ही उत्तराखंड के अधिकारियों ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं. यही वजह है कि मैंने केरल ड्रग विभाग को एक नई शिकायत भेजी है.’

बाबू कहते हैं कि वे चिंतित हैं कि आयुर्वेद निर्माताओं के भ्रामक विज्ञापन गंभीर स्वास्थ्य विकारों वाले रोगियों को ऐसे उत्पाद खरीदने के लिए प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी मदद नहीं करेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *