November 13, 2024

SBI had filed an application to extend time to disclose the details of each electoral bond encashed by political parties till June 30 | PTI/Shutterstock

नई दिल्ली: चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 2019 से खरीदे और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के संबंध में जानकारी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की 6 मार्च की समय सीमा का पालन किया है या नहीं, इस पर उसके पास ‘कोई जानकारी या करने के लिए कोई टिप्पणी’ नहीं है.

इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है कि चुनाव आयोग ने जानकारी के लिए एसबीआई से संपर्क किया है या नहीं.

चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और कानून मंत्रालय चुनावी बॉन्ड को ‘असंवैधानिक’ घोषित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में चुप हैं.

एसबीआई ने सोमवार (5 मार्च) को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर राजनीतिक दलों द्वारा खरीदे गए या भुनाए गए सभी चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था, जिससे भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के प्रति इसके द्वारा राजनीतिक दलों को जारी किए गए करोड़ों रुपये के बारे में जानकारी न होने को लेकर अविश्वास पैदा हो रहा है.

एसबीआई की तीखी आलोचना करने वाला नवीनतम संगठन बैंक कर्मचारियों की ट्रेड यूनियन बैंक एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) है, जिसने कहा है कि स्टेट बैंक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समयसीमा का पालन करना चाहिए.

बीईएफआई में वाणिज्यिक बैंकों, भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के कर्मचारी शामिल हैं. यूनियन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और उनके कर्मियों का उपयोग ‘सत्तारूढ़ ताकतों के संकीर्ण राजनीतिक हित’ के लिए किया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट से मोहलत मांगते समय एसबीआई ने जो कारण बताए, उन पर यूनियन ने तीखी प्रतिक्रिया जारी की है.

संघ ने इसके सचिव एस. हरि राव द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान कोलकाता से जारी करते हुए कहा, ‘भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने जो कारण बताया है कि कुछ डेटा भौतिक रूप में सीलबंद लिफाफे में संग्रहीत हैं, आज के डिजिटल युग में, विशेष रूप से बैंकिंग क्षेत्र में- जब अधिकांश जानकारी माउस के एक क्लिक से उपलब्ध है- कई लोगों को यह जानकर आश्चर्य हुआ है.’

इसमें यह भी कहा गया है, ‘हाल ही में, यह देखा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और उनके कर्मियों का इस्तेमाल सत्तारूढ़ ताकतों के संकीर्ण राजनीतिक हित के लिए किया जाता है, जैसे कि विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस, विकसित भारत संकल्प यात्रा आदि के आयोजन के मामलों में. हम ऐसी गतिविधियों पर अपना कड़ा विरोध व्यक्त करते हैं जब समय की मांग बैंकिंग उद्योग में अधिक भर्ती करने और विभिन्न माध्यमों से सार्वजनिक धन की लूट पर रोक लगाने की है.’

चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए यूनियन ने कहा, ‘देश ने देखा है कि फैसले के 17 दिन बाद एसबीआई ने 4 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, 6 मार्च 2024 को समयसीमा समाप्त होने के ठीक दो दिन पहले, और अदालत के निर्देश का पालन करने के लिए 30 जून 2024 तक का समय मांगा, जिस समय तक आगामी आम चुनाव समाप्त हो जाएंगे.’

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता, जो 2019 में उस पीठ का हिस्सा थे जिसने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड का रिकॉर्ड रखने का आदेश दिया था, ने इस सप्ताह की शुरुआत में द वायर से कहा था कि उन्हें एसबीआई द्वारा अतिरिक्त समय मांगते समय दिए गए कारण पर विश्वास नहीं हुआ.

उन्होंने कहा था, ‘एक बार जब अदालत ने निर्देश दिया था कि आप यह जानकारी रखेंगे तो इसे इस तरह रखना उनका परम दायित्व था कि जब कोई अदालत उनसे इसका खुलासा करने के लिए कहे तो वे जल्द से जल्द इसका खुलासा कर सकें. ऐसा नहीं कि वे इसका खुलासा करने में महीनों ले लें.’

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