The Wire/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चुनावी बॉन्ड की जरूरत पर बात करते हुए कहा कि इसे लाने का मकसद था कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनीतिक दलों की आय के अज्ञात स्रोत कम से कम हों.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दूसरे दिन उनके तर्क में पिछले कुछ सालों के अज्ञात दानदाताओं (डोनर्स) के बारे में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से जारी एक रीड-आउट शामिल था.
द हिंदू ने राजनीतिक फंडिंग के स्रोत पर उपलब्ध डेटा के विश्लेषण में पाया है कि आंकड़े इसके उलट हैं. वित्त वर्ष 2015- 2017 में राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से धन का स्रोत वित्त वर्ष 2019- 2022 की अवधि में 66% से बढ़कर 72% (लगभग तीन-चौथाई) हो गया.
चुनावी बॉन्ड 2018 में पेश किए गए थे.
भाजपा की 2019-2022 की अवधि, यानी चुनावी बॉन्ड पेश किए जाने के बाद, में इसकी कुल आय में अज्ञात स्रोतों की हिस्सेदारी 58% से बढ़कर 68% हो गई.
इसी अवधि में कांग्रेस की हिस्सेदारी (कुल आय के एक अंश के रूप में अज्ञात स्रोतों की) लगभग 80% रही.
चुनावी बॉन्ड की शुरूआत के बाद की अवधि में राष्ट्रीय दलों को मिली अज्ञात फंडिंग का 81% हिस्सा ऐसे बॉन्ड्स का रहा था.
एडीआर के अनुसार चंदे के ज्ञात और अज्ञात स्रोत
मामले में याचिकाकर्ता चुनाव निगरानी संस्था एडीआर द्वारा वर्गीकृत आय के अज्ञात स्रोतों को वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में घोषित आय के रूप में परिभाषित किया गया है, लेकिन आय का स्रोत बताए बिना. यह 20,000 रुपये से कम के दान के लिए है. ऐसे अज्ञात स्रोतों में ‘चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान’, ‘कूपन की बिक्री’, ‘राहत कोष’, ‘विविध आय’, ‘स्वैच्छिक योगदान’, ‘बैठकों आदि से योगदान’ आदि शामिल हैं.राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये से कम देने वाले व्यक्तियों या संगठनों का नाम उजागर करने की जरूरत नहीं होती है.
ज्ञात स्रोतों को 20,000 रुपये से अधिक के दान के रूप में परिभाषित किया गया है. इन्हें एडीआर द्वारा दो प्रकार की आय में वर्गीकृत किया गया है, एक, जिसका दाता विवरण पार्टियों द्वारा भारत के निर्वाचन आयोग को दिया जाता है और दूसरा, जिसमें चल और अचल संपत्तियों की बिक्री के माध्यम से आय शामिल होती है.
चुनावी बॉन्ड की पार्टीवार हिस्सेदारी
द हिंदू द्वारा इस विश्लेषण में इस्तेमाल एडीआर डेटा के अनुसार, भाजपा ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2022 के बीच 5,721 करोड़ रुपये हासिल किए. यह तब तक जारी किए गए कुल चुनावी बॉन्ड का 57% है.
कांग्रेस को 952 करोड़ रुपये मिले. यह बॉन्ड का 10.4% है. तृणमूल कांग्रेस को 768 करोड़ रुपये, बीजद को 622 करोड़ रुपये, डीएमके को 432 करोड़ रुपये, बीआरएस को 384 करोड़ रुपये और वाईएसआरसीपी को 330 करोड़ रुपये मिले.
सीपीआई (एम) चुनावी बॉन्ड स्वीकार नहीं करती है और चुनावी बॉन्ड की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले मामले की एक याचिकाकर्ता है, जो अब तक इस पर अदालत में जाने वाली एकमात्र राजनीतिक पार्टी है.
राजनीतिक चंदे का बड़ा हिस्सा अज्ञात स्रोत से आता है
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 में आठ राष्ट्रीय दलों की कुल आय 3,289 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 781 करोड़ रुपये ज्ञात दानदाताओं से थे और 336 करोड़ रुपये अन्य ज्ञात स्रोतों (संपत्ति की बिक्री, सदस्यता शुल्क, बैंक ब्याज, प्रकाशनों की बिक्री आदि) से मिले थे. अज्ञात स्रोतों से हुई आय 2,172 करोड़ रुपये या कुल आय का 66% थी.
2021-22 में भाजपा की कुल आय 1,917 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 1,161 करोड़ रुपये या 61% अज्ञात स्रोतों (ज्यादातर चुनावी बॉन्ड) से थी. टीएमसी की कुल आय 546 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 528 करोड़ रुपये या 97% अज्ञात स्रोतों से थी. कांग्रेस की कुल आय 541 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 389 करोड़ रुपये या 72% अज्ञात स्रोतों से आए थे. सीपीएम की कुल आय 162 करोड़ रुपये में 79 करोड़ रुपये या 48% अज्ञात स्रोतों से शामिल हैं.
चुनावी बॉन्ड मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि सीपीएम ने चुनावी बॉन्ड स्वीकार न करने के बावजूद 2017-18 से अपनी आय का 50% से अधिक अज्ञात स्रोतों से प्राप्त किया है.
अख़बार ने भी एडीआर के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि 2004-05 और 2014-15 के बीच राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की कुल आय 11,367 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 1,836 करोड़ रुपये (16%) ज्ञात स्रोतों से आए थे. अन्य ज्ञात स्रोतों से आय 1,699 करोड़ रुपये या 15% थी. अज्ञात स्रोतों से आय 7,833 करोड़ रुपये मिले थे, जो पार्टियों की कुल आय का 69% था.
छह राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित 20,000 रुपये से अधिक के दान की कुल राशि 1,405 करोड़ रुपये थी. भाजपा ने इस तरह के दान से 918 करोड़ रुपये पाने की घोषणा की थी जो सर्वाधिक था और इसी अवधि में कांग्रेस द्वारा घोषित ऐसे दान के दोगुने से भी अधिक था.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2004-05 और 2014-15 के बीच कांग्रेस की कुल आय 3,323 करोड़ रुपये का 83% और भाजपा की कुल आय 2,126 करोड़ का 65% अज्ञात स्रोतों से आया. क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी की कुल आय (819 करोड़ रुपये) का 766 करोड़ रुपये या 94% और शिरोमणि अकाली दल की कुल आय का 88 करोड़ रुपये या 86% अज्ञात स्रोतों से आया.
राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने 2004-05 और 2014-15 के बीच 20,000 रुपये से अधिक का शून्य योगदान पाने की घोषणा की है, जिसका अर्थ है कि पार्टी का 100% चंदा अज्ञात स्रोतों से आया है. पार्टी की आय 2004-05 के 5 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-15 में 112 करोड़ रुपये हो गई थी.