नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर प्रदर्शनकारी पहलवान विनेश फोगाट ने कहा है कि वह इससे आहत हुई हैं.
द टेलीग्राफ ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से बताया है कि विनेश ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को लेकर भी यह आरोप लगाया कि जब वह अन्य पहलवानों के साथ उनसे बात कर रही थीं तो खेल मंत्री ‘अपने फोन में व्यस्त’ थे.
उन्होंने कहा, ‘उन्हें मेरी चिंताएं सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी. जब मैं उनसे बात कर रही थी तो वह अपने फोन में व्यस्त थे.’
फोगाट ने सोनीपत स्थित अपने आवास पर कहा, ‘जब से मैंने विरोध करने का साहस जुटाया है, तब से मुझे केवल अपमान की गहरी भावना महसूस हुई है. यह भावनात्मक रूप से बहुत आहत करने वाला है कि प्रधानमंत्री ने इस मामले को लेकर कुछ नहीं कहा है.’
उन्होंने कहा कि पहलवानों ने ठाकुर से विस्तार से बात की थी.
बता दें कि प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ बैठक में ठाकुर ने कहा था कि पुलिस 15 जून तक अपनी जांच पूरी कर लेगी और तब तक पहलवानों से विरोध प्रदर्शन नहीं करने का अनुरोध किया था.
वहीं, एक एफआईआर में एक वरिष्ठ महिला पहलवान ने कहा है कि उन्होंने मोदी के साथ 2021 की बैठक में सिंह के बारे में उनसे शिकायत की थी.
मालूम हो कि बीते दिनों तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पहलवानों की शिकायत पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर का एक कथित हिस्सा साझा करते हुए कहा था कि 2021 में एक पहलवान ने उनके द्वारा उत्पीड़न के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया
फोगाट ने कहा कि प्रशिक्षण शिविरों और टूर्नामेंट के दौरान बृजभूषण युवा महिला पहलवानों को अकेला पाने और उन्हें छूने-टटोलने के लिए हरसंभव तरीके का इस्तेमाल करते थे.
उन्होंने कहा, ‘यह घृणित पैटर्न बार-बार होता था.’
फोगाट ने कहा, ‘हम सिंह को उनके घर से खींचकर बाहर निकालना चाहते थे, लेकिन वह एक ताकतवर आदमी है, वह हर जगह घूम रहा है और हमें घर पर बैठने के लिए कहा जा रहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘तथ्य यह है कि कोई भी हमारी बात नहीं सुन रहा था, जिसने मुझे और दूसरों को सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया, क्योंकि हम चाहते थे कि देश को पता चले कि शीर्ष खिलाड़ियों के साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है.’
मालूम हो कि बीते जनवरी महीने में पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया था.
कई हफ्तों के विरोध के बाद बीते 23 जनवरी को मामले की जांच के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय के आश्वासन और ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन के बाद पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था.
इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था.
हालांकि कोई कार्रवाई न होने के बाद बीते 23 अप्रैल को बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत अन्य पहलवानों ने अपना प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया.
सात दिनों के विरोध के बाद बीते 28 अप्रैल को सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से एक यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत और दूसरी महिला के शील भंग का प्रयास से संबंधित है.
इससे पहले दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर न दर्ज करने का आरोप लगाते हुए खिलाड़ी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जिसने 25 अप्रैल को उनकी याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.
एफआईआर में ‘पेशेवर सहायता के बदले’ सेक्सुअल मांग के कम से कम दो मामले; यौन उत्पीड़न की कम से कम 15 घटनाएं, जिनमें गलत तरह से छूने की करीब दस घटनाएं, छेड़छाड़- जिसमें खिलाड़ियों के स्तनों को हाथ लगाना, नाभि को छूना शामिल है; डराने-धमकाने के कई उदाहरण जिनमें पीछा करना भी शामिल है- का जिक्र किया गया है.
मालूम हो कि बीते 28 मई को पहलवानों ने नई संसद के उद्घाटन के समय अपनी मांगों के समर्थन में संसद की ओर मार्च किया था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें रास्ते में बलप्रयोग करके रोक दिया था और उन पर दंगा भड़कने समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. साथ ही, जंतर मंतर से उनको प्रदर्शन करने से हटा दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने अपने पदकों को गंगा में समाहित करने का ऐलान किया था.
इस बीच बीते 7 जून को केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने 15 जून तक पहलवानों को प्रदर्शन न करने के लिए मना लिया.
खेल मंत्री ने कहा था कि मामले में पुलिस की जांच 15 जून तक पूरी हो जाएगी और आरोप-पत्र दायर कर दिया जाएगा. ठाकुर ने पहलवानों की अन्य मांगें भी सुनी थीं, जिनमें 30 जून तक डब्ल्यूएफआई के चुनाव कराने और पहलवानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस लेने और सरकार की ओर से उन्हें पूरा सहयोग सुनिश्चित करने की मांगें शामिल थीं.
हालांकि पहलवानों का कहना है कि अगर 15 जून तक कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे विरोध प्रदर्शन को लेकर आगे की कार्रवाई करेंगे.