हिंसा से जूझ रहे मणिपुर से दिल्ली पहुंचे तीन प्रतिनिधिमंडलों से नहीं मिले प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली: पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से जारी हिंसा के बीच मणिपुर के नेताओं के कम से कम तीन प्रतिनिधिमंडल, दो सत्तारूढ़ भाजपा के और एक प्रदेश कांग्रेस का, दिल्ली में बीते कई दिनों से रहने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने में विफल रहे. मई की शुरुआत से राज्य में जारी हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, लाखों की संपत्ति का नुकसान हुआ है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं, हालांकि तबसे प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर एक शब्द नहीं बोला है.
ऐसे समय में जब मणिपुर की सड़कों पर कुकी और मेईतेई समुदायों के सशस्त्र नागरिक भीड़ शासन कर रही है, प्रधानमंत्री द्वारा अपनी ही पार्टी द्वारा शासित राज्य की स्थिति पर लगातार चुप्पी पर राजनीतिक विरोधियों, नागरिक समाज समूहों और स्थानीय लोगों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, मोदी की चुप्पी और राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की कानून और व्यवस्था न संभाल पाने के प्रति लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया पर नजर आ रहा है, जहां पीएम को ‘लापता’ बताने के पोस्टर साझा किए जा रहे हैं. खबरें हैं कि प्रधानमंत्री के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के प्रसारण के दौरान जगह-जगह रेडियो सेट तोड़ दिए गए.
स्थानीय ख़बरों के अनुसार, मणिपुर के भाजपा विधायकों के दो समूह प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 15 जून से नई दिल्ली में हैं. इंफाल फ्री प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कानून और व्यवस्था संभालने को लेकर बीरेन सरकार (जो गृह मंत्री भी है) के खिलाफ मेईतेई समुदाय से आने वाले भाजपा के नौ विधायकों ने 15 जून को मोदी से मिलने का समय मांगा. उन्हें उसी दिन इसकी पावती मिली थी, लेकिन बताया गया कि प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय दौरे पर जाने वाले हैं इसलिए डेलीगेशन ने 19 जून को पीएमओ में ज्ञापन दिया है
हिंसा प्रभावित मणिपुर से आने वाले भाजपा के विधायकों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा समय न निकालने पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा. सोमवार को उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘आज मणिपुर के भाजपा विधायकों के एक समूह ने रक्षा मंत्री से मुलाकात की. आज, मणिपुर के भाजपा विधायकों का एक और समूह पीएम को एक ज्ञापन सौंपने गया, जिसमें कहा गया था कि लोगों का राज्य प्रशासन पर से पूरी तरह से विश्वास उठ गया है- माने सीएम को बदलना होगा. वे उनसे नहीं मिले. मणिपुर में खुद भाजपा एकजुट नहीं है. यही कारण है कि राज्य आज बुरी तरह बंटा हुआ है. और पीएम को परवाह नहीं है!
भाजपा प्रतिनिधिमंडलों के अलावा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भी प्रधानमंत्री से मिलने के लिए कई दिनों से नई दिल्ली में है. यह पूछे जाने पर कि क्या प्रदेश कांग्रेस के अनुरोध के बारे में पीएमओ से कोई पावती मिली है, रमेश ने द वायर को बताया कि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका मिस्र के चार दिवसीय दौरे के लिए रवाना हुए हैं.
इंफाल के इमा बाजार की महिलाओं ने दिल्ली में प्रदर्शन किया
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए मणिपुर से आई महिलाओं ने प्रदर्शन किया. करीब 75 महिलाएं राज्य में शांति के लिए बनाई गई ख्वाइरंबम इमा कीथेल की संयुक्त समन्वय समिति का हिस्सा हैं. इमा कैथेल महिलाओं द्वारा संचालित इंफाल का एक बाजार है.
उनके द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की गई जहां एक महिला एच. बिनोदिनी ने कहा, ‘मणिपुर में सभी समुदाय कई वर्षों से शांतिपूर्वक रह रहे हैं. हिंसा शुरू हो गई और कई लोगों के पास अत्याधुनिक बंदूकें और गोला-बारूद थे, नागरिकों पर गोलियां चल रही थीं. कितनी जानें चली गईं. हम प्रधानमंत्री से मिलने और अपनी शिकायतें पेश करने के लिए दिल्ली आए हैं ताकि वह हस्तक्षेप कर सकें… गृह मंत्री ने मणिपुर का दौरा किया, लेकिन हिंसा जारी है.’
एक अन्य महिला जी. लेम्बी ने कहा, ‘क्या हम भारत के नागरिक नहीं हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर क्यों नहीं आए?’ उनके साथ आई के. धनेश्वरी ने कहा, ‘पिछले 45 दिनों से हिंसा जारी रहने और कई मौतों के बावजूद न प्रधानमंत्री आए न ही उन्होंने इस बारे में कोई शब्द तक नहीं कहा. अगर इंटरनेट और शांति बहाल हो जाते हैं, तो बड़ी संख्या में लोग जंतर-मंतर आएंगे.’