हम राजनीति में हैं नहीं, चुनाव कभी लड़ा नहीं, इस कारण हम निर्भय होकर कह सकते हैं कि हम ईश्वर को नहीं मानते मगर मोदी जी और राहुल जी राजनीति में हैं। उनका धार्मिक होना उनकी राजनीतिक आवश्यकता भी है। उनकी इन राजनीतिक-धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए, हम यहां उस ईश्वर की चर्चा करेंगे, जो न कभी था, न है, न होगा। दरअसल राहुल जी ने अमेरिका में भारतीयों के बीच जाकर मोदी जी की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए बहुत पते की बात कही कि मोदी जी उस परम कोटि के ज्ञानी हैं कि अगर कोई ईश्वर की बगल में उन्हें बैठा दे तो वह उस सृष्टिकर्ता पर भी अपने ज्ञान से आप्लावित कर आएंगे। ईश्वर को भी भ्रमित कर आएंगे!
मोदीजी के ‘ज्ञान’ के बारे में इससे सटीक टिप्पणी मैंने आज तक न पढ़ी, न सुनी मगर दुर्भाग्य से यह सुनकर वहां उपस्थित भारतीय खिलखिलाने लगे, ठहाके लगाने लगे। बताइए, सच भी ससुरों को चुटकुला लगता है। राहुल जी दरअसल ‘सीरियस’ बात कर रहे थे, मोदी जी के ‘ज्ञान’ की ‘गहराई’ पर प्रकाश डाल रहे थे। उन्हें भरपूर सम्मान दे रहे थे। साथ ही मुझ जैसों को यह प्रेरणा भी दे रहे थे कि अब तक जो किया, सो किया मगर अगले साल वोट इस परम ‘विद्वान’ को ही देना है। न जाने कितने युगों बाद भारत को ऐसा विश्वगुरु टाइप ‘विद्वान’ प्रधानमंत्री मिला है! राहुल जी बताते हैं कि मोदी जी इतने अधिक ज्ञानी हैं कि इतिहासकारों को इतिहास, वैज्ञानिकों को विज्ञान पढ़ा- सीखा आते हैं, सेना को युद्ध कौशल और वायुसेना के जवानों को युद्धक विमान चलाना सिखा देते हैं! और उन्होंने सचमुच ऐसा कर दिखाया भी है,जैसे उन्होंने वैज्ञानिकों को नाली के गंदे पानी से गैस बना कर चाय बनाना सिखाया, वायुसेना को बादलों की आड़ लेकर पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करना सिखाया ताकि अच्छा से अच्छा रडार भी हमारी वायुसेना के विमान को पकड़ न पाए! और इतिहासकारों को बता चुके हैं कि तक्षशिला बिहार में है। ये तो उनके अद्भुत-अनोखे- दिव्य ज्ञान के चंद एक उदाहरण हैं। पिछले नौ सालों में मेरे विचार से कम से कम दो सौ बार ऐसे उत्कृष्ट ज्ञान से उन्होंने देश-विदेश को ‘लाभान्वित’ किया है। वह अगर इतने ‘ज्ञानी’ न हुए होते तो व्हाट्स ऐप यूनिवर्सिटी की स्थापना नहीं हो पाती, उसके कुलपति के पद पर मोदी जी से भी अधिक ज्ञानी अमित मालवीय नहीं बैठ पाते! मरने के बाद नेहरू जी मुसलमान बनने से वंचित रह जाते, कश्मीरी पंडित ही रहे आते! और लोग इस मुगालते में रहते कि पढ़कर, समझकर, सुनकर, देखकर ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, बिना पढ़े, बिना सुने, बिना देखे ज्ञान हासिल नहीं होता! सब मोदी जी को केवल प्रधानमंत्री मानते, उनकी विद्वता की चर्चा अमेरिका तक नहीं पहुंच
मैं राहुल गांधी जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने बताया कि मोदी जी और उनके टाइप लोग ईश्वर को भी ज्ञान देने में समर्थ हैं! और मोदी जी,जो कर रहे हैं, ठीक ही कर रहे हैं! आखिर ज्ञान होता किसलिए है- बांटने के लिये ही तो! ज्ञान कोई धन-संपत्ति तो है नहीं कि अपनी औलादों में बांटा और दुनिया से प्रयाण कर गए! वैसे मोदी जी की कोई ज्ञात औलाद है भी नहीं! उन्हें तो सबकुछ अंततः भगवान और हमें बांटकर ही जाना है, कुछ भी साथ नहीं ले जाना है और ज्ञान तो पूरा का पूरा हमें ही देकर जाना है। वैसे कहा भी गया है कि ज्ञान देने से बढ़ता है, जैसे चुनावी बांड खरीदकर भाजपा को गोपनीय रीति से धन देने से देनेवालों का धन घटता नहीं, दिन दूनी, रात, चौगुनी गति से बढ़ता है! तो ऐसे विद्वान को अपने ज्ञान से ईश्वर को वंचित क्यों रखना चाहिए? उसने ऐसा क्या गुनाह किया है? उसने कब मोदी जी का विरोध किया है?
इसके अलावा मोदी जी को ज्ञान देने का पूरा हक भी है! ईश्वर तो सृष्टि की रचना करके आराम से बैठ गया मगर धरती के पालन और संहार की जिम्मेदारी तो आज मोदी जी के कंधों पर आ चुकी है! उन्हें ही आज विष्णु और शंकर का रोल निभाना पड़ रहा है! तो ईश्वर इसके बदले मोदी जी ज्ञान को भी सहन नहीं कर सकते? आज भारत के मंदिरों में जो बेहद भीड़-भाड़ है और जिस ईश्वर के दर्शन पहले भक्त मुफ्त में कर लिया करते थे,आज 250 रुपए देकर कर रहे हैं आखिर किसके कारण?मोदी जी के कारण या राहुल जी के कारण?