November 24, 2024

उत्तराखंड के जोशीमठ में ज़मीन धंसने से लगभग 65 प्रतिशत मकान प्रभावित हुए हैं। सरकारी एजेंसियों की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, दो जनवरी से ज़मीन धंसने के कारण जोशीमठ-औली मार्ग के निकट स्थित एक इलाके में कई मकानों और संरचनाओं में बड़ी दरारें दिखने लगी, जिससे 355 परिवारों को वहां से स्थानांतरित करना पड़ा।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां ज़मीन धंसने की समस्या कई वर्षों से हैं लेकिन दो जनवरी से आठ जनवरी तक यह अधिक गंभीर हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ में नुकसान का आकलन करने और प्रभावित इलाकों में पुनर्निर्माण के मद्देनजर 22 अप्रैल से 25 अप्रैल तक 35 सदस्यीय एक टीम को भेजा गया।

टीम में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान और अन्य एजेंसियों के पेशेवर शामिल थे।

आकलन रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ में कुल 2,152 मकानों में से 1,403 मकान ज़मीन धंसने से प्रभावित हुए हैं और इन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

इसके अनुसार कुल 472 मकानों के पुनर्निर्माण और 931 मकानों की मरम्मत की जरूरत है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ में इमारतों को नुकसान के मुख्य कारणों में अच्छी गुणवत्ता वाली निर्माण सामग्री का इस्तेमाल नहीं करना, संरचनात्मक खामियां और खड़ी ढलानों पर इमारतों का निर्माण शामिल है।

रिपोर्ट में राज्य सरकार से मानसून के अंत तक शहर में नए निर्माण कार्यों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने तथा मानसून के बाद जमीनी स्थितियों के पुनर्मूल्यांकन के बाद केवल हल्की संरचनाओं के लिए छूट की अनुमति देने का भी आग्रह किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘सड़कें बहुत संकरी हैं, और आसपास शायद ही कोई खुली जगह है। यह शहर को अत्यधिक असुरक्षित बनाता है क्योंकि आपात स्थितियों में पहुंच लगभग असंभव है।’’

एजेंसियों ने अगले 10-15 वर्षों के लिए एक सुरक्षित जोशीमठ बनाने के उद्देश्य से एक संभावित योजना बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।

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