नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पीएम मोदी द्वारा राम मंदिर का उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा का विरोध शुरू हो गया है। गोवर्धनमठ पुरीपीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने किसी राजनेता द्वारा मंदिर का उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा का विरोध किया है।
दरअसल, श्रीराम जन्मभूति तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी को मुख्य यजमान के रूप में आमंत्रित किया गया है। इस तरह पीएम मोदी के हाथों से ही गर्भ गृह में राम लला की मूर्ति सिंहासन पर विराजमान कराया जायेगा।
संत समाज इससे नाखुश दिख रहा है। यह नाराजगी मुखर रूप में तब सामने आयी जब रतलाम में त्रिवेणी तट पर हिंदू जागरण सम्मेलन को संबोधित करने आए जगन्नाथपुरी गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद से मीडिया ने 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या चलने से संबंधित सवाल किया। सवाल का जवाब देते हुए शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि “मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या? मेरे पद की भी मर्यादा है। राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, ऐसे आयोजन में मैं क्यों जाऊं।”
उन्होंने कहा कि राजनेता कैसे प्रणाम करते हैं पता है? पीएम मोदी दोनों हाथ जोड़कर चारों तरफ घुमा देंगे। मुझे अपने पद की गरिमा का ख्याल है, मैं कार्यक्रम में नहीं जाऊंगा। मुझे अयोध्या और राम जी कोई परहेज नहीं है, लेकिन में उद्घाटन कार्यक्रम में नहीं जाऊंगा।
राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से मिले आमंत्रण के बारे में निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि “मुझे जो आमंत्रण मिला है उसमें लिखा है कि आप और आपके साथ सिर्फ एक व्यक्ति आयोजन में आ सकता है। इसके अलावा हमसे किसी तरह का अब तक संपर्क नहीं किया गया है, जिस कारण मैं आयोजन में नहीं जाऊंगा।”