अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्धों में मानव रहित विमान (UAV, unman aerial vehicle) का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। 2021 में उस समय भारतीय सेना के अध्यक्ष रहे जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा था, “कंप्यूटर एल्गोरिद्म पर आधारित ड्रोन के आक्रामक इस्तेमाल ने युद्ध के दौरान पारंपरिक सैनिक हार्डवेयर को चुनौती दी है जैसे कि टैंक, तोपख़ाना और ज़मीनी फ़ौज।” उनकी बात बिल्कुल सही है। ड्रोन हमलों ने दुनिया के युद्धों का तरीका बदल दिया है। रूस यूक्रेन युद्ध और इजरायल का फिलिस्तीन पर हमला। इन सब में सेना द्वारा ड्रोन विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मानवता के विरुद्ध अपराधी के तौर पर ड्रोन जन आंदोलनों के सामने चुनौती बनकर उभर रहे हैं।
आधिकारिक रूप से पहली बार भारत में किसी विरोध- प्रदर्शन पर ड्रोन द्वारा हमला करने वाला हरियाणा पहला राज्य बन गया है। 12 सितबंर को हरियाणा पंजाब की सीमा पर स्थित शंभू बार्डर पर दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर ड्रोन के जरिए आंसू गैस के गोले दागे गये। इससे पहले दिन बाकायदा इसकी रिहर्सल भी की गयी। हजारों की संख्या में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों को तैनात किया गया। शंभू बार्डर पर हरियाणा-पंजाब सीमा पर ड्यूटी पर तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और पुलिस के वज्र वाहनों ने ओवरब्रिज की दोनों लेन पर कम से कम 4,500 गोले दागे।
अपने ही देश में क्या कोई पुलिस, अर्ध सैनिक बल या सेना हवाई हमला कर सकती है? किसी धरने, प्रदर्शन, आंतकी हमले की स्थिति में ड्रोन के इस्तेमाल की अनुमति भारत सरकार से लेनी पड़ती है? क्या निगरानी के अलवा किसी तरह के हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल युद्ध की श्रेणी में नहीं आता है? किस कानून के तहत ड्रोन का इस्तेमाल हमले के लिए किया जाता है? ये कुछ ऐसे सवाल है जिन्होंने भारत के सामने शंभू बार्डर पर खड़ा कर दिया है।
क्या आने वाले दिनों में हर जन आंदोलन, सरकार विरोधी प्रदर्शन को ड्रोन हमलों से गुजरना पड़ेगा। इस बात की क्या गारंटी है कि भविष्य में आंसू गैस के गोलों की जगह आम जनता पर बम गोले नहीं दागे जाएंगे। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाकों में 2016 से लेकर 2023 तक कई बार जनता ड्रोन हमलों के खिलाफ प्रदर्शन कर चुकी है लेकिन सरकार ऐसे किसी भी हमलों को नकारती रही है। लेकिन किसान आंदोलन पर ड्रोन से किये गये हमले सरकारी दावों की पोल खोलते नजर आ रहे हैं।
किसान जब चंडीगढ़ में शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के साथ बातचीत कर रहे थे तो दूसरी तरफ पुलिस ने जगह-जगह हाइवे जाम करने शुरू कर दिए थे। बड़े-बड़े कंक्रीट के बोल्डर रखे गये। कंटेनेर रखे गये। लोहे की राड, बैरिकेड, कंक्रीट की दीवार बना कर हाईवे जाम कर दिए गये। दर्जनों जगह पर ऐसा किया गया। लाखों लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई। बीमारों को दिक्कते हुईं। लेकिन क्या इसके लिए किसी पर मुकद्दमें दर्ज होंगे। जब किसान अपनी मांगों के लिए विरोध स्वरूप मार्च करते हैं तो उन पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, आवागमन अवरूद्ध करने के केस दर्ज होते हैं। लाठी चार्ज होता है। लेकिन जब प्रशासन यही सब करता है तो किस पर मुकद्दमें दर्ज हों? किस से उस संपत्ति की भरपाई हो? टोल टैक्स, रोड टैक्स आदि जो जनता की जेब से जाता है उस से रोड बने हैं, उनको तोड़ने, अवरूद्ध करने की इजाजत प्रशासन को कहां से मिलती है।
आंदोलन को रोकने के लिए कंक्रीट, कंटेनेर, जेसीबी, बोल्डर्स, ड्रोन, आंसू गैस पर होने वाला खर्च किस से वसूला जाता है। ये सारे सवाल हैं। इनका जवाब कौन देगा?
आखिर में सबसे अधिक आश्चार्यचकित करने वाली बात ये है कि हरियाणा सरकार की Drone Imaging and Information Service of Haryana Limited (DRIISHYA) कंपनी द्वारा 2023 में जब इस तरह के ड्रोन लांच किये गये तो कहा गया था कि ये ढांचागत परियोजनाओं, कृषि और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के मद्देनजर विकसित किये गये हैं। यह निगरानी के लिए इस्तेमाल किये जाएंगे। द हिंदू के अनुसार जो ड्रोन इस्तेमाल किये गये हैं वह उपरोक्त DRIISHYA कंपनी के हैं जो हरियाणा के मुख्यमंत्री के गृह जिले करनाल में स्थित है।
एक पुलिस अधिकारी ने द हिंदू को बताया कि 4 अप्रैल 2024 को हरियाणा सरकार द्वार जारी प्रैस विज्ञप्ति के अनुसार ये ड्रोन ढांचागत परियोजनाओं, कृषि और बागवानी व संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी के लिए बनाए गये हैं। करनाल की ही कंपनी के ड्रोन होने की पुष्टि हिंदुस्तान टाइम्स की खबर में भी मिलती है। वहीं इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ये ड्रोन पाकिस्तान, बांग्लादेश के साथ लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए भी बनाए गए थे।
इस तरह के ड्रोन 2022 में बीएसएफ द्वारा 42वीं गवर्निंग बॉडी मीटिंग में पेश किये गये थे। इनको डीटीसीएल यानी ड्रोन टियर स्मोक लांचर कहा गया था। इसका उद्देश्य पत्थरबाजी करने वाली भीड़ को निंयत्रित करना बताया गया था। इस तरह के ड्रोन कई सारे ग्रेनेड अपने साथ रखते हैं और उनको एक के बाद एक दागते रहते हैं। रिमोट के जरिए दूर बैठ कर यह लगातार बमबारी कर सकते हैं। वहीं जब इंडियन एक्सप्रेस ने हरियाणा पुलिस से इस बारे में जानकारी मांगी तो उनका कहना था कि ड्रोन अर्ध सैनिक बलों द्वारा ऑपरेट किये गये हैं। ये 400-500 मीटर रेंज कवर करते हैं।
(अमनदीप सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं।)