देहरादून। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण के लिए सरकार हर साल करोड़ों रूपये खर्च कर रही है, लेकिन घोटालेबाज सरकारी कोशिशों पर पलीता लगा रहे हैं। एक ऐसा ही मामला उत्तरकाशी जनपद के मोरी ब्लाक में सामने आया है। ग्रामीण विकास विभाग ने वर्ष 2021 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत मोरी ब्लाक के दो गांवों गैच्वाणगांव व वैनोल में 57 शौचालयों के निर्माण के लिए ई-टेंडर जारी किया। ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रति शौचालय 1 लाख रूपये की धनराशि के हिसाब से ग्रामसभा के प्रधान सूरत सिंह रावत उर्फ सुरतू के नाम 57 शौचालयों के निर्माण का टेंडर जारी किया। ग्राम प्रधानी के साथ ही ठेकेदारी करने वाले सूरत सिंह रावत ने ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर मात्र 74 हजार रूपये की लागत से प्रति शौचालय निर्माण का कार्य हापुड़ निवासी एक पेटी ठेकेदार समयउददीन के हवाले कर दिया गया। इस तरह जिन शौचालयों के निर्माण के लिए प्रति शौचालय 1 लाख रूपये की दर से ग्राम प्रधान सूरत सिंह रावत को सरकारी ठेका हासिल हुआ उसे मात्र 74 हजार रूपये की दर से पेटी ठेकेदार से करा लिया गया। यही नहीं पेटी ठेकेदार समयउददीन को भी उसका भुगतान नहीं किया गया। अलबत्ता पेटी ठेकेदार जहां ग्राम प्रधान से अपना भुगतान हासिल करने के लिए लेबर कोर्ट के चक्कर काट रहा है वहीं ग्राम प्रधान और सरकारी अधिकारी शौचालय निर्माण के नाम पर लीपापोती कर अपना माल हजम कर चुके हैं।
बकायदा ग्राम प्रधान सूरत सिंह रावत द्वारा पेटी ठेकेदार समयउददीन के साथ एफिटेविट पर 74 हजार रूपये के हिसाब से 58 शौचालय के निर्माण कार्य को संपन्न करने का अनुबन्ध किया गया है। इस पूरे घोटाले को लेकर सबसे अहम सवाल यह उठता है कि जब कानूनन किसी भी सरकारी टेंडर को कोई भी ठेकेदार किसी दूसरे ठेकेदार को अनुबन्ध कर आगे हस्तांतरित नही कर सकता है तो फिर ग्राम प्रधान सूरत सिंह रावत द्वारा कैसे पेटी ठेकेदार को उक्त कार्य दे दिया गया। उत्तराखण्ड निविदा नियमावली-2017 के अनुसार किसी भी टेंडर में न्यूनतम तीन निविदादाताओं का वित्तीय निविदा के लिए योग्य होना अनिवार्य है। तकनीकी निविदा में तीन निविदादाताओं/ठेकेदारों के सफल होने के बाद ही वित्तीय निविदा खोली जाती है, लेकिन यहां अधिकारियों ने कमीशनखोरी के लिए ग्राम प्रधान सूरत सिंह रावत आपराधिक सांठगांठ कर इस नियम का भी पालन नहीं किया और दो ठेकेदारों से पुलिंग कराकर वर्क आर्डर जारी कर दिया गया। इस तरह दोनों ठेकेदारों को अलग-अलग शौचालय निर्माण के ठेके दिए गए।
देहरादून निवासी शेखर पांडेय ने बताया कि ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा इस तरह उत्तरकाशी जनपद में शौचालय निर्माण के नाम पर ठेकेदारों के साथ आपराधिक सांठगांठ कर घोटालों को अंजाम दिया गया है। एक ओर जहां मनमाने तरीके से दो गुने से अधिक रेट पर शौचालय निर्माण के ठेके दिए गए वहीं दूसरे ओर नियमविरूद्ध पेटी ठेकेदारों से काम कराकर दबंगई के बल पर उनको भी भुगतान नहीं किया जा रहा हैं और समयउददीन जैसे पेटी ठेकेदार को कर्ज मेें डूबकर आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है। शेखर पांडेय ने बताया कि वे जल्द ही ग्राम प्रधान सूरत सिंह रावत द्वारा सरकारी अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर गए शौचालय निर्माण घोटाले की उच्च स्तरीय जांच के लिए माननीय नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर करने जा रहे हैं।
सुनकुंडी में ग्राम प्रधानी करने वाले सूरत ंिसंह रावत के कारनामों की सूची शौचालय निर्माण घोटाले तक ही सीमित नहीं है, सुरतू के घोटाले की अगर जांच होती है तो उसे जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ेगा।