देहरादून/मसूरी। घोटालेबाज पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता पिछले पांच सालों से एक के बाद एक काले कारनामों को बेरोकटोक अंजाम देता आया है। करोड़ों के घोटालों को लेकर जांच का सामना कर रहा गुप्ता एक बार फिर एमपीजी कॉलेज में शिक्षकों की भर्ती मनमाने तरीके से करने की कोशिश कर रहा है, लेेकिन इस बार शासन ने गुप्ता के इरादों को भांप कर झटका दे दिया है।
शासन ने आदेश जारी कर साफ किया है कि जब तक कालेज में आरक्षण रोस्टर को शासन से स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। शासन ने उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक को आदेश जारी कर कहा है कि एक ओर कालेज की प्रबन्ध समिति द्वारा रोस्टर को अनुमोदन के लिए शासन को भेजा जा रहा है वहीं दूसरी ओर भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया गया। शासन ने कहा है कि जब शासन की ओर से रोस्टर का अनुमोदन नहीं किया जाता है तब तक भर्ती प्रक्रिया को आगे नहीं बढाया जा सकता है। शासन ने तत्काल प्रभाव से भर्ती प्रक्रिया को रोकने के निर्देश दिए हैं। दरअसल एमपीजी कॉलेज की प्रबन्ध समिति का अध्यक्ष होने के नाते अनुज गुप्ता की कोशिश है कि किसी तरह कालेज में शिक्षकों की भर्ती कर ली जाए। पूर्व में भी गुप्ता इस तरह की कोशिश कर चुका है लेकिन रोस्टर को मनमाने तरीके से डिजाइन किए जाने की शिकायत शासन से होने के चलते मामला लटक गया था। एक बार फिर गुप्ता की कोशिश है कि चेयरमैन की कुर्सी से हटने से पहले किसी न किसी तरह दर्जनभर से अधिक शिक्षकों की भर्ती को अंजाम तक पहुंचा लिया जाए। गुप्ता की कोशिश है कि मनमाने तरीके से रोस्टर तय कर भर्ती कर ली जाए। हाईकोर्ट द्वारा एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कालेज में शिक्षकों के खाली पदों को भर्ती करने के आदेश जारी किए गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि गुप्ता रोस्टर का अनुमोदन मिलने से पहले ही भर्ती के लिए इस तरह की हड़बड़ी क्यों दिखा रहा है?
दरअसल भ्रष्ट गुप्ता ने जिस तरह हाईकोर्ट का नाम लेकर मासोनिक लॉज के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च कर डाले, उसी तरह गुप्ता हाईकोर्ट की आड़ लेकर मनमाने तरीके से शिक्षकांे की भर्ती करना चाहता है। गुप्ता चाहता है कि डिग्राी कालेज के शिक्षकों की भर्ती के नाम पर बड़े खेल को किसी न किसी तरह अंजाम तक पहुंचा दिया जाए। लेकिन गुप्ता के इस खेल पर फिलहाल शासन ने पानी फेर दिया है।