November 23, 2024

नई दिल्ली: सरकारी समय सीमा समाप्त होने के बाद हजारों की संख्या में अफगानिस्तान के नागरिक पाकिस्तान से भाग गए हैं. अधिकारियों ने बीते गुरुवार (2 नवंबर) को यह जानकारी दी.

पाकिस्तान ने बिना उचित कागजात वाले प्रवासियों को स्वेच्छा से देश छोड़ने या फिर गिरफ्तारी या निष्कासन का सामना करने के लिए 1 नवंबर तक का समय दिया था.

पाकिस्तान में दस्तावेजों के बिना रह रहे हैं अधिकांश विदेशी नागरिक अफगानी हैं. इन पर तस्करी, आतंकी हमलों और छोटे अपराधों का आरोप लगाया गया है.

करीब 17 लाख अफगान नागरिक पाकिस्तान में रह रहे थे

देश छोड़ने का आदेश आने से पहले पाकिस्तान में करीब 17 लाख अफगान शरणार्थी रह रहे थे. कई अफगान नागरिक दशकों से पाकिस्तान में रह रहे हैं, जो वर्षों के संघर्ष के बीच पड़ोसी देश से भागकर आए थे.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने खैबर जनजातीय जिला उपायुक्त नासिर खान के हवाले से कहा कि 24,000 से अधिक अफगान नागरिकों ने बुधवार (1 नवंबर) को तोरखम सीमा पार से पाकिस्तान छोड़ दिया.

अधिकारियों ने जर्मन डीपीए समाचार एजेंसी को बताया कि पिछले 24 घंटों में कम से कम 30,000 अफगानी पाकिस्तान से भाग गए हैं.

शरणार्थियों के लिए पाकिस्तान की एजेंसी के उप-प्रमुख फजल रब्बी ने डीपीए को बताया, ‘हमें उम्मीद है कि आज भी इतनी ही संख्या में लोग सीमा पार करेंगे.’

2011 में तोरखम सीमा की तस्वीर. (फोटो: अमेरिकी सेना/विकिमीडिया कॉमन्स)

पाकिस्तानी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1 नवंबर की समय सीमा से पहले 1,40,000 से अधिक शरणार्थी अफगानिस्तान में प्रवेश कर चुके थे.

सहायता संगठनों ने ‘गंभीर’ स्थितियों की चेतावनी दी

प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों ने लोगों के अफगानिस्तान लौटने पर अराजक दृश्यों की चेतावनी दी है. तीन सहायता संगठनों – नॉर्वेजियन शरणार्थी परिषद, डेनिश शरणार्थी परिषद और अंतरराष्ट्रीय बचाव समिति – ने कहा कि अनियमित प्रवासन पर पाकिस्तान की कार्रवाई से भागकर कई लोग खराब स्थिति में अफगानिस्तान पहुंचे हैं.

एजेंसियों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘जिन स्थितियों में वे अफगानिस्तान पहुंचे हैं, वे गंभीर हैं. कई लोगों को कई दिनों तक चलने वाली कठिन यात्राएं करनी पड़ी हैं, कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा है और अक्सर यात्रा करने के बदले में अपनी संपत्ति छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है.’

एजेंसियों ने कहा कि उन्हें लोगों के अस्तित्व और अफगान समाज में पुन: एकीकरण का डर है, जो दशकों के युद्ध, संघर्षरत अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पन्न मानवीय संकट से जूझ रहा है.

अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने भी निर्वासन आदेश को ‘क्रूर और बर्बर’ बताते हुए इसकी निंदा की है और पाकिस्तान से अनुरोध किया है कि वह बिना दस्तावेज वाले अफगानों को निकलने के लिए और समय दे.

तालिबान ने सीमावर्ती इलाकों में अफगानों के लिए अस्थायी कैंप तैयार किए हैं.

पाकिस्तान की निर्वासन योजनाओं की संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी दूतावासों ने आलोचना की है, जिन्होंने पाकिस्तान से तालिबान के तहत उत्पीड़न के जोखिम का सामना कर रहे अफगानों की सुरक्षा के तरीके विकसित करने का आग्रह किया है.

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