आरबीआई के इस सर्वे में शामिल 90 प्रतिशत शहरी उपभोक्ताओं ने कहा कि वे जिन वस्तुओं का उपभोग करते हैं, उनके दामों में पिछले सालों की तुलना में वृद्धि हुई है। मई 2023 में भी उपभोक्ताओं का अर्थव्यवस्था पर भरोसा कमजोर बना हुआ है। यह स्थिति कमोबेश 2018 से जारी है। अधिकांश उपभोक्ता आज भी भविष्य में आर्थिक बेहतरी की कोई संभावना नहीं देख रहे हैं।
इन तथ्यों का विश्लेषण करने से एक बात साफ नजर आती है कि शहरी उपभोक्ताओं का बड़ा हिस्सा आज भी हताशा और निराशा की स्थिति में जी रहा है। उसकी यह स्थिति कमोबेश 2018 से बनी हुई है।
इस संदर्भ में अर्थशास्त्र के जानकार रविंद्र पटवाल कहते है, “ नरेंद्र मोदी की सरकार ने आर्थिक विकास का जो रास्ता अख्तियार किया है, उसमें मुट्टीभर चंद लोगों के विकास को देश के विकास का पर्याय बना दिया गया है। जीडीपी के विकास का जो आंकड़ा दिखाया जा रहा है, उसका फायद सिर्फ ऊपर के लोगों को प्राप्त हो रहा है। आरबीआई का सर्वे भी इसी तथ्य की पुष्टि करता है।”