December 7, 2025

अधिशासी अधिकारी राजकुमार भारती व पंचायत अध्यक्ष सतीश चुग की सरपरस्ती में

चल रहा कमीशनखोरी का गोरखधंधा

देहरादून/गूलरभोज। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचारमुक्त शासन के दावों के बीच उधमसिंहनगर की गूलरभोज नगर पंचायत में भ्रष्टाचार और घपले घोटालों के नाम पर नंगा नाच चल रहा है।

कमीशनखोरी का गोरखधंधा इस कदर बेरोकटोक चल रहा है कि अधिशासी अधिकारी राजकुमार भारती से लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष सतीश चुग तक कायदों कानूनों को धत्ता बताकर एक के बाद एक घोटालों को अंजाम देने में लगे हुए हैं। कमीशनखोरी के लिए अधिशासी अधिकारी और नगर पंचायत अध्यक्ष की मंडली कायदे-कानूनों की भी परवाह नहीं कर रही है। आंख मूंदकर एक के बाद एक कारनामों को अंजाम देकर सरकारी धन को ठिकाने लगाने का खेल पूरी बेशर्मी के साथ संचालित हो रहा है।

नगर पंचायत गूलरभोज में चल रहे भ्रष्टाचार के नंगे नाच को दो मिसालों से समझा जा सकता है। नगर पंचायत ने दो माह पूर्व डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए गुपचुप तरीके से टेंडर कर अपने चहेते ठेकेदार को पहले से पांच लाख महीने की दर से चलने वाले टेंडर को सीधे दस लाख महीने की दर से दे दिया गया। पहले जिस काम के लिए हर महीने नगर पंचायत द्वारा जिस कूडा उठान के लिए 5 लाख रूपये खर्चने पड़ रहे थे, एकाएक अब उसके लिए 10 लाख रूपये महीने का भुगतान किया जा रहा है। यह बढ़ी हुई रकम ठेकेदार के साथ सांठगांठ कर सीधे भ्रष्टाचारियों की जेब में डाली जा रही है। उत्तराखण्ड द्वारा जारी आदेशों के अनुसार इस तरह के किसी भी कार्य को जेम पोर्टल या ई टेंडर के माध्यम से निविदा आमंत्रित कर किया जाना चाहिए, लेकिन भ्रष्ट अधिशासी अधिकारी राजकुमार भारती द्वारा बिना ई-टेंडर या जेम पर बिड कराने बगैर ही गुपचुप तरीके से आफलाइन ऐसे अखबारों में निविदा प्रकाशित कर टेंडर के नाम पर खानापूर्ति की गई जो शायद ही किसी को नजर आते हों। भ्रष्ट अधिशासी अधिकारी राजकुमार भारती व नगर पंचायत अध्यक्ष को यह तो पूछा ही जाना चाहिए कि शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि डोर टू डोर कूडा कलेक्शन के लिए पांच साल के लिए 5 करोड़ से अधिक की लागत का टेंडर आनलाइन टेंडर कराने के बजाय गुपचुप तरीके से कराना पड़ा? इसके साथ ही इस सवाल का भी कोई जवाब इस भ्रष्ट जोड़ी के पास नहीं है कि जिस काम पर नगर पंचायत हर महीने 4 लाख 75 हजार रूपये का भुगतान हो रहा था उस काम के लिए एकाएक 9 लाख 44 हजार रूपये महीने का भुगतान किया जा रहा है। इस तरह हर महीने 5 लाख रूपये की लागत बढ़ाकर पांच साल में 3 करोड़ रूपये की कमीशनखोरी के लिए इस घोटाले को अंजाम दिया गया है।

इसी तरह नगर पंचायत में अन्य सामग्री की खरीद के नाम पर भी कमीशनखोरी का गोरखधंधा पूरे शबाब पर चल रहा है। तीन से चार गुना अधिक दामों पर केमिकल से लेकर लाइटों की खरीद की जा रही है। घोटालेबाजी का आलम यह है कि सोलर वाटर कूलर के नाम पर अधिशासी अधिकारी राजकुमार भारती व नगर पंचायत अध्यक्ष की जोड़ी ने 10 वाटर कूलर के लिए 19 लाख 75 हजार रूपये का वर्क आर्डर जारी किया, लेकिन जो वाटर कूलर लगाए जा रहे हैं उनमें सोलर का नामोंनिशान नहीं है। सोलर वाटर कूलर के नाम पर प्रति वाटर कूलर के लिए करीब 2 लाख रूपये का भुगतान किया जा रहा है। नगर पंचायत द्वारा जो 40 लीटर वाटर कूलिंग कैपेसिटी के वाटर कूलर स्थापित किए जा रहे उसकी बाजार में कीमत 50 हजार रूपये से भी कम है। इन वाटर कूलर की लागत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उत्तराखण्ड में नगर पालिका मंगलौर हरिद्वार द्वारा जेम पोर्टल के माध्यम से मात्र 65 हजार रूपये की लागत से 120 लीटर कूलिंग कैपेसिटी के 15 कूलर मात्र 9 लाख रूपये में लगाए गए हैं।

इस तरह नगर पंचायत गूलरभोज में कमीशनखोरी के नाम पर सरकारी धन को ठिकाने लगाने के लिए नंगा नाच चल रहा है। भ्रष्टाचार के इस गोरखधंधे के खिलाफ देहरादून निवासी किरन राना द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर उत्तराखण्ड शासन तक में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन इसके बावजूद भी भ्रष्टाचारियों का नंगा नाच थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिकायतकर्ता का कहना है कि नगर पंचायत के कारनामों की जांच नहीं हुई तो वे हाईकोर्ट की शरण में जाकर जनहित याचिका दायर करेंगे।

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