November 24, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह “कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करने और विश्वास की भावना पैदा करने” के लिए मणिपुर हिंसा मामलों के संबंध में कई निर्देश पारित करेगा। न्यायालय ने कहा कि वह “मानवीय प्रकृति के विविध पहलुओं को देखने” के लिए हाईकोर्ट की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करेगी। समिति एक “व्यापक आधार वाली समिति” होगी जो राहत, उपचारात्मक उपाय, पुनर्वास उपाय, घरों और पूजा स्थलों की बहाली सहित चीजों को देखेगी।

इस समिति की अध्यक्षता जस्टिस गीता मित्तल (जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश), जस्टिस शालिनी फंसलार जोशी (बॉम्बे एचसी की पूर्व न्यायाधीश) और जस्टिस आशा मेनन (दिल्ली एचसी की पूर्व न्यायाधीश) करेंगी। जांच के निर्देश जांच के संबंध में, अदालत ने कहा कि केंद्र ने यौन हिंसा से संबंधित 11 एफआईआर केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने का फैसला किया है। कोर्ट ने कहा कि वह इन मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर करने की इजाजत देगा। हालांकि, इसमें अन्य राज्यों से लिए गए एसपी नहीं तो कम से कम डीवाईएसपी रैंक के 5 अधिकारी भी शामिल होंगे “यह सुनिश्चित करने के लिए कि विश्वास की भावना और निष्पक्षता की समग्र भावना हो”। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये अधिकारी सीबीआई के प्रशासनिक ढांचे के भीतर काम करेंगे।

इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि वह सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक अधिकारी नियुक्त करके “सुरक्षा की एक और परत” जोड़ेगा, जो न्यायालय को वापस रिपोर्ट करेगा। राज्य जांच राज्य पुलिस जांच के संबंध में, न्यायालय ने राज्य के इस कथन पर गौर किया कि वह उन मामलों को देखने के लिए 42 एसआईटी का गठन करेगी, जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि इन एसआईटी के लिए वह अन्य राज्य पुलिस बलों से कम से कम एक इंस्पेक्टर को शामिल करने का आदेश देगा। इसके अलावा, राज्य एसआईटी की निगरानी 6 डीआइजी रैंक के अधिकारियों द्वारा की जाएगी जो मणिपुर राज्य के बाहर से हैं।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने प्रस्तावित निर्देशों का खुलासा करने के बाद कहा कि उपरोक्त शर्तों पर एक औपचारिक आदेश दिन के अंत तक अपलोड किया जाएगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पिछले सप्ताह पारित आदेश के अनुसार मणिपुर के डीजीपी व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष उपस्थित थे। पिछली सुनवाई पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने पुलिस जांच को “धीमी” बताया था। पीठ ने कहा था कि घटनाओं के कई दिनों बाद एफआईआर दर्ज की गईं और गिरफ्तारियां बहुत कम हुई हैं।

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