Jan chowk
नई दिल्ली। फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाजा के अस्पतालों में अर्जेंट मेडिकल एड के लिए सेफ कोरिडोर की मांग की है। इस बीच इजरायल द्वारा गाजा पट्टी के इलाके और उसमें भी उसके रिहाइशी इलाकों में बमबारी लगातार जारी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की है। मोदी ने उनसे कहा कि भारत पूरी मजबूती के साथ और स्पष्ट तरीके से आतंकवाद के खिलाफ है। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि “मैं प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को उनके फोन करने और मौजूदा परिस्थिति का अपडेट देने के लिए धन्यवाद देता हूं। भारत के लोग इस कठिन परिस्थिति में इजरायल के साथ पूरी मजबूती से खड़े हैं। भारत पूरी मजबूती के साथ और स्पष्ट तरीके से आतंकवाद के खिलाफ है।” हालांकि यह अभी तक की भारत की विदेश नीति के बिल्कुल उलट है। और कांग्रेस ने कल अपनी सीडब्ल्यूसी की बैठक में पुरानी विदेश नीति की ही तर्ज पर फिलिस्तीनियों के साथ खड़े रहने का प्रस्ताव पास किया है।
डब्ल्यूएचओ ने गाजा में ह्यूमैनिटेरियन कोरिडोर मुहैया कराने की अपील की है। जेनेवा में एक प्रेस कांफ्रेंस में डब्ल्यूएचओ प्रवक्ता तारिक जैसरेविक ने कहा है कि “डब्ल्यूएचओ हिंसा को खत्म करने की अपील कर रहा है…..महत्वपूर्ण मेडिकल सप्लाई के लिए गाजा इलाके में एक ह्यूमन कोरिडोर की जरूरत है।” संगठन के एक कर्मचारी ने बताया कि 13 हमलों में गाजा स्थित स्वास्थ्य सुविधाओं को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है।
यूएन के ह्यूमैनिटेरियन आफिस ने कहा है कि चार स्कूल और 8 हेल्थकेयर फैसिलिटीज को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। इजरायल के पानी सप्लाई को बंद करने के ऐलान के बाद गाजा इलाके में पानी का संकट खड़ा हो गया है।
फिलिस्तीनी प्रेस एजेंसी साफा ने बताया है कि सेंट्रल गाजा में स्थित बुरेजी कैंप के पूर्व में तोप के गोले दागे गए हैं।
इस बीच इजरायल ने कहा है कि उसने तार वाले बाड़ेबंदी के पास के रिहाइशी इलाके को खाली करा लिया है। और अब वहां केवल वही परिवार और कर्मचारी बचे हैं जिन्होंने खुद से रुकना पसंद किया।
कहा जा रहा है कि बंकरों को तोड़ने के लिए इजरायल बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल कर रहा है। इसका इस्तेमाल उसने गाजा इलाके में फिलिस्तीनी बंकरों को तोड़ने के लिए किया है।
इस बीच मिस्र ने पूरे मामले से खुद को दूर रखने का फैसला लिया है। ऐसा विश्लेषकों का कहना है। कतर यूनिवर्सिटी के गल्फ स्टडीज सेंटर के निदेशक महजूब ज्वेरी ने कहा कि हमास और इजरायल के बीच बढ़ती लड़ाई को देखते हुए मिस्र ने पूरे मामले से खुद को दूर रखने का फैसला लिया है।
ज्वेरी ने अल जजीरा को बताया कि “मिस्र के पिछले 48 घंटों में शामिल होने के पीछे मात्र दो कारण थे: वहां एक रिपोर्ट थी कि मिस्र ने इजरायल को चेतावनी दी थी कि कुछ होने जा रहा है- उन्होंने (इजरायल) इंकार कर दिया है।”
उन्होंने कहा कि “वहां रफाह को लेकर भी चर्चा है (गाजा और मिस्र के बीच बार्डर क्रासिंग को खोलने)। मैं इस बात को लेकर निश्चिंत हूं कि मिस्र रफाह को खोलने में रुचि नहीं लेगा। वो पहले ही ऐसे कदम उठाकर रफाह गेट के पास के सभी स्थानों को ध्वस्त कर चुके हैं। और उन्हें इसको खोलने में कोई रुचि नहीं है “
मिस्र ऐसा अपनी घरेलू राजनीति को ध्यान में रखते हुए भी कर रहा है।
इजरायल ने कहा है कि लेबनान और सीरिया की ओर से आसमानी हमलों की भी आशंका है। लिहाजा उनको रोकने के लिए एयर फोर्स की तैनाती कर दी गयी है।
इजरायली हमले में तीन फिलिस्तीनी पत्रकारों की मौत हो गयी है। ऐसा मीडिया यूनियन के एक पदाधिकारी ने बताया। पत्रकारों के संगठन ने इजरायली हमले में तीन पत्रकारों के गाजा पट्टी में शहीद हो जाने की घोषणा की।
हमले के बाद से वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में वृद्धि होनी शुरू हो गयी है। कच्चे तेल की कीमतों में 4.2 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि इजरायल और गाजा दोनों तेल उत्पादक देश नहीं हैं लेकिन आस-पास के देशों में जरूर इसका उत्पादन होता है और वह बड़े स्तर पर प्रभावित होने जा रहा है।
बताया जा रहा है कि गाजा पट्टी में कुल छह पत्रकारों की मौत हुई है। पत्रकार मोहम्मद सुभ और सईद अल तवील के जनाजे में बहुत सारे लोगों ने हिस्सा लिया। दो पत्रकारों के गायब होने की भी खबर है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इजरायल में चीनियों के मारे जाने की खबरों की वह जांच कर रहा है। बताया जा रहा है कि गाजा पट्टी में सडेरोट के पास दो चीनी कामगारों की मौत हो गयी है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के 34 छात्र संगठनों के एक मंच ने फिलिस्तीन के पक्ष में बयान जारी किया है। हालांकि उसका विश्वविद्यालय के कुछ सीनियरों ने विरोध भी किया है।
छात्रों ने कहा कि जो कुछ भी हिंसा हो रही है उसके लिए वो इजरायल को जिम्मेदार मानते हैं। नस्लीय शासन इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में मुस्लिम, फिलिस्तीनी और हार्वर्ड ज्यूज फॉर लिबरेशन एंड द अफ्रीकन अमेरिकन रेजिस्टेंस ऑर्गेनाइजेशन के समर्थक हैं।
यूएन ने इजरायल के पूरे ब्लाकेड के ऐलान की निंदा की है। यूएन महासचिव ने कहा कि इससे वह बेहद चिंतित हैं। और इससे हालात और खराब होंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा लड़ाई निर्वात में पैदा नहीं हुई है बल्कि यह दशकों के लंबे कब्जे और उसके खत्म होने की कोई संभावना न देख पाने का नतीजा है।
अल जजीरा के रिपोर्टर यौमना एलसैय्यद ने कहा कि गाजा पट्टी के लिए यह बेहद कठिन रात थी। जब रात में इजरायल की ओर से तकरीबन 200 हवाई हमले हुए। और इलाके में अब बिजली कटौती का असर भी दिखने लगा है। पिछले दो दिनों में गाजा में केवल 4 घंटे बिजली थी। वहां का अकेला पावर प्लांट अब केवल दो और दिनों के लिए चल सकता है। उसके बाद गाजा पट्टी में बिल्कुल अंधेरा छा जाएगा। जब तक कि उसके लिए बाहर से तेल नहीं जाता है।
इससे केवल नागरिकों को कष्ट नहीं सहना पड़ रहा है बल्कि अस्पतालों तक में बिजली नहीं है। चारों तरफ बिल्कुल अंधेरा है।
बड़े स्तर पर गाजा इलाके से पलायन शुरू हो गया है। अभी तक बताया जा रहा है कि एक लाख अस्सी हजार लोग गाजा पट्टी को छोड़ कर जा चुके हैं। यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी फॉर पैलेस्टाइन रिफ्यूजी ने बताया कि यह संख्या पिछले 24 घंटे की है। और समय के साथ इसके और बढ़ने की आशंका है।
इस बीच खबर आ रही है कि इजरायल वायु सेना ने अपने कुछ विमानों को यूरोप भेजा है जिसके जरिये सैनिक सेवा के इच्छुक लोगों को वहां से लाने की योजना है। सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया है कि इसके लिए हरक्यूलिस हवाई जहाज को इमरजेंसी में भेजा गया है। हालांकि इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया गया है कि उन्हें किन खास स्थानों पर भेजा गया है। और कहां से ऐसे सैनिक आएंगे।
स्पेन और फ्रांस ने फिलिस्तीन को सहायता बंद करने का विरोध किया है। स्पेन के कार्यकारी विदेश मंत्री जोस मैनुअल अलबेयर्स ने कहा है कि उनकी सरकार यूरोपियन यूनियन के फिलिस्तीन को सहायता रोकने के प्रस्ताव का विरोध करती है। उन्होंने स्पैनिश रेडियो से कहा कि यह सहयोग किसी भी हालत में जारी रहना चाहिए। हमें फिलिस्तीनी आबादी, या फिलिस्तीनी अथारिटी या फिर यूएन से हमास को नहीं जोड़ना चाहिए।
उन्होंने आगे जोड़ा कि फिलिस्तीनी इलाके को आने वाले दिनों में और ज्यादा सहायता की जरूरत पड़ेगी। मंगलवार को ईयू के विदेश मंत्री हालात पर विचार-विमर्श के लिए बैठक करेंगे।
फ्रांस के भी विदेश मंत्रालय ने सहायता रोके जाने का विरोध किया है। एक बयान में उसने कहा है कि फिलिस्तीनी लोगों को सीधा फायदा पहुंचाने वाली सहायता को रोक जाने के पक्ष में हम नहीं हैं। और कल यूरोपियन कमीशन को इसके बारे में बता दिया गया है। आयरलैंड लक्जमबर्ग ने भी इसका विरोध किया है। आस्ट्रिया ने सहायता रोक दी है। इन बयानों के आने के कुछ घंटे बाद ही ईयू भी पीछे हट गया। उसने कहा कि वह भुगतान को निलंबित नहीं करेगा। वह केवल फिलिस्तीनी इलाके को मिलने वाली सहायता का पुनर्मूल्यांकन कर रहा था। हालांकि डेनमार्क ने फिलिस्तीन को दी जाने वाली सहायता पर रोक लगा दी है।
अज जजीरा से बात करते हुए गाजा निवासी एमान बशर ने कहा कि उनको नहीं पता कि उनके परिवार के कुछ सदस्य कहां हैं क्योंकि पट्टी में इजरायल की बमबारी लगातार जारी है।
बशर ने फोन पर अल जजीरा को बताया कि “हमारे पास पानी नहीं है। मेरे माता-पिता मेरे फोन काल का जवाब नहीं दे रहे हैं। हमारे चाचा के साथ क्या हुआ इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। पिछली रात हमने उनको ढूंढने में बिता दिया।”
उन्होंने कहा कि मैं अपने तीन बच्चों के साथ हूं और मेरे पति दूर हैं। और मैं यहां अकेले जिंदा हूं। मैं बिल्कुल असहाय महसूस कर रही हूं।
उन्होंने आगे कहा कि बम और मोर्टार के हमलों की आवाजों को कवर करने के लिए हम कभी-कभी संगीत बजाते हैं और बच्चे उस पर नाचते हैं। पटाखों की आवाज का बहाना अब ज्यादा नहीं चलता है क्योंकि हम कहते थे कि जो आवाजें आ रही हैं वो पटाखों की हैं।
इस बीच एक नये घटनाक्रम में ईयू ने फिलिस्तीन और इजरायल के विदेश मंत्रियों को अपने विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करने के लिए बुलाया है।
ह्यूमन राइट्स हाई कमिश्नर ने इजरायल के गाजा को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने के फैसले की निंदा की है। जिसमें भोजन और पानी पर पाबंदी शामिल है।
वोल्कर तुर्क ने प्रभाव रखने वाले देशों से इसको खत्म कराने की अपील की है और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय और मानवाधिकार कानूनों का पालन किया जाना चाहिए।
एक बयान में उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत इस तरह के कब्जे द्वारा सामानों और बुनियादी सुविधाओं से वंचित करके नागरिकों के जीवन को खतरे में डालना मना है।
गाजा इलाके में मौतों की संख्या के बारे में कहा जा रहा है कि वह बढ़कर 770 हो गयी है। जबकि 4000 से ज्यादा लोग घायल हैं। मरने वालों में 140 बच्चे और 120 महिलाएं हैं। यह गाजा से हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा दिया गया आंकड़ा है।
अल जजीरा के डोरसा जब्बारी ने कहा है कि खुमैनी के भाषण के बाद अब बिल्कुल साफ हो गया है कि फिलिस्तीन की ईरान हर तरीके से मदद करना चाहता है। अब इस पर निर्भर करता है कि वो क्या चाहते हैं। जहां तक उनकी जानकारी है यह अभी तक मानवीय सहायता तक सीमित है।
ईरान ने फिलिस्तीन को वित्तीय या फिर सैनिक सहायता देने से इंकार किया है। लेकिन मुस्लिम लीडर खुमैनी ने कहा कि यह सभी मुस्लिम राष्ट्रों का कर्तव्य है कि वो फिलिस्तीन की मदद करें। और किस रूप में हो सकता है वो खुद तय करें।