देहरादून/गैरसैंण। लगता है उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को भी घोटालेबाजों की नजर लग गयी है। नगर पंचायत गैरसैंण में सोलर व एलईडी स्ट्रीट लाइट की खरीद के नाम पर नया घोटाला सामने आया है। नगर पंचायत के घोटालेबाज कमीशनखोरी के लिए बिडर से मिलीभगत कर बाजार भाव से कई गुना अधिक दामों पर सोलर,/एलईडी लाइट व पोल की खरीद कर रहे हैं। इस घोटाले का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि जिस सोलर लाइट की कीमत स्थापना के साथ 20 हजार रूपये में जैम पोर्टल के माध्यम से हो रही है उसी सोलर लाइट को गैरसैंण पंचायत में बैठे घोटालेबाज 75 हजार रूपये की दर से भुगतान कर रहे हैं। इस तरह गैरसैंण में 225 सोलर लाइट के टेंडर में 01 करोड़ 23 लाख रूपये की कमीशनखोरी हो रही है। ऐसे हीं एलईडी लाइट पोल की स्थापना के नाम पर भी कमीशनखोरी का खेल हो रहा है। जिन एलईडी लाइट का कार्य 30 हजार रूपये प्रति पोल की दर से हो सकता है उस पर प्रति पोल 1 लाख रूपये फूंके जा रहे हैं। इस तरह एलईडी लाइट मय पोल की स्थापना के नाम पर सवा करोड़ से अधिक की रकम घोटालेबाजों के पेट में जा रही है। इस तरह जो काम सवा करोड़ में हो सकता है उस पर गैरसैंण में कमीशनखोरी के लिए तीन गुना अधिक 3 करोड 71 लाख रूपये का भुगतान किया जा रहा है। इस घोटाले को लेकर पंचायत अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत से लेकर अधिशासी अधिकारी हेमंत कुमार तक की भूमिका सवालों के घेरे में हैं। पंचायत अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत व अधिशासी अधिकारी हेमंत कुमार को इस सवाल का जवाब देना होगा कि आखिर ऐसा क्या है कि जो सोलर लाइट 20 हजार रूपये व एलईडी लाइट मय पोल 30 हजार रूपये में दूसरी पालिकाओं में जैम पोर्टल के माध्यम से हो रहा है, उसी काम को गैरसैंण में 75 से 1 लाख रूपये प्रति सोलर/एलईडी लाइट मय पोल के दर से कराया जा रहा है?
योजना के तहत गैरसैंण नगर क्षेत्र में 170 एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाई जानी हैं। इसके लिए नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी हेमंत कुमार ने जैम पोर्टल के माध्यम से एल लाख रूपये प्रति पोल की दर से वर्क आर्डर जारी किया है। एलईडी स्ट्रीट लाइट के लिए जिस डिजायन का 07 मीटर डेकोरेटिव आक्टोगन पोल खरीदा जा रहा है उसका बाजार भाव 20 हजार से 30 हजार रूपये के मध्य है उसे 80 हजार रूपये में खरीदा जा रहा है। गैरसैंण में जो काम सवा करोड़ में हो सकता है कमीशनखोरी के लिए उस काम को 3 करोड़ 71 लाख रूपये में कराया जा रहा है। जिस फर्म मैसर्स स्काई टरबाइन को यह टेंडर अलॉट किया गया है उसके प्रोपराइटर्स दो-फर्मों का संचालन कर अधिशासी अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर यह खेल, खेल रहे हैं। जिस स्काई टरबाइन के साथ मिलीभगत कर गैरसेंण में इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है उसके कर्ताधर्ता दूसरे स्थानीय निकायों में भी अपनी दो-दो फर्मों के जरिये टेंडर में पुलिंग कर सरकारी टेंडर हासिल कर रहे हैं। हरिद्वार नगर निगम में भी भी पुलिंग कर एक ऐसा ही टेंडर उक्त फर्म के कर्ताधर्ताओं द्वारा मैसर्स इवोलग्रान के नाम पर हासिल कर लिया गया है। स्काई टरबाइन के कर्ताधर्ता अधिकारियों से मिलीभगत कर यह खेल बेरोकटोक खेल रहे हैं। गजब तो यह है कि यह सब जैम पोर्टल के माध्यम से हो रहा है। इस पूरे घोटाले को लेकर नगर पंचायत के अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। सवाल यह है कि कमीशनखोरी के लिए आखिर तीन-तीन गुना अधिक बजट को कैसे मंजूरी दे दी गई?
उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में हो रहे इस घोटाले को लेकर आने वाले दिनों में सियासत भी गरमा सकती है। लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच सोलर लाइट घोटाला सत्ताधारी भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। इस घोटाले से उसकी भ्रष्टाचार मुक्त राज के दावों की पोल खुल जाती है।
गैरसैंण नगर पंचायत द्वारा जैम पोर्टल के माध्यम से अक्टूबर माह में 225 सोलर लाइट व 170 एलईडी स्ट्रीट लाइट की खरीद व स्थापना के लिए टेंडर जारी किया गया। टेंडर में तीनों फर्मों मैसर्स स्काई टरबाइन, मैसर्स दुर्गा टेªडर्स व मैसर्स राधे द्वारा बिड डाली गई। नगर पंचायत द्वारा तीनों ही फर्मों को नगर पंचायत द्वारा तकनीकी बिड में सफल घोषित करते हुए वित्तीय बिड खोली गई। वित्तीय बिड में मैसर्स स्काई टरबाइन को एल-1 व दुर्गा टेªडर्स को एल-2 घोषित किया गया। जिस फर्म को वित्तीय निविदा में एल-2 घोषित किया गया वह फर्म तकनीकि निविदा में क्वालिफाई करने के लिए योग्य थी भी या नहीं यह भी जांच का विषय है। वित्तीय निविदा में एल-1 से लेकर एल-3 तक तीनों ही फर्मों ने जिस तरह से रेट कोट किए हैं उसमें ऐसा कोई अंतर नहीं है जिससे लगता हो कि पूरी पारदर्शिता के साथ यह बिड डाली गई हो। तकनीकी निविदा के गडबड़झाले को छोड़ भी दे तो गैरसैंण में 170 एलईडी लाइट मय डेकोरेटिव पोल के साथ औसतन 1 लाख रूपये प्रति पोल की दर से कराया जा रहा है, जबकि यही कार्य उत्तराखण्ड में ही एक अन्य नगर पालिका डबल आर्म डेकोरेटिव पोल के साथ मात्र 25 हजार रूपये की दर से किया जा रहा है। यही स्थित सोलर लाइट की खरीद व स्थापना के कार्य को लेकर भी है। उत्तराखण्ड में ही नगर पालिकाएं 20 हजार रूपये की दर से सोलर स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही हैं, दूसरी ओर गैरसैंण में 225 सोलर लाइट 75 हजार रूपये से अधिक की दर से भुगतान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय समेत भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा जैम पोर्टल पर जिन एलईडी लाइट की खरीद 8 सौ रूपये से 12 सौ रूपये में हो रही है गैरसैंण में उन्हीं एलईडी लाइट को 8 से 10 हजार रूपये में खरीदा जा रहा है।
यहीं नहीं भारत सरकार का उर्जा मंत्रालय 1 किलोवाट/1000 वाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट जैम पोर्टल के माध्यम से मात्र 50 हजार रूपये में स्थापित कर रहा है, दूसरी तरह उत्तराखण्ड के गैरसैंण में बैठे हेमंत कुमार जैसे भ्रष्ट अधिकारी 75 हजार रूपये में मात्र 12 वोल्ट क्षमता के साथ 30 वाट का सोलर लाइट का पैनल स्थापित कर रहे हैं। ंइससे इस घोटाले का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पंचायत गैरसैंण के अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत
इस बाबत एक शिकायती पत्र नगर पंचायत गैरसैंण के अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत को दिया गया है। शिकायतकर्ता शेखर पाण्डेय ने अपने शिकायती पत्र में उक्त घोटाले की जांच की मांग करते हुए कहा है कि यदि नगर पंचायत द्वारा जांच कर भुगतान पर रोक नहीं लगाई गई तो वे इस मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। शेखर पांण्डेय का कहना है कि स्ट्रीट लाइट व सोलर लाइट के नाम पर हो रहे इस गोरखधंधे में अधिशासी अधिकारी हेमंत कुमार से लेकर निदेशालय के कुछ भ्रष्ट अधिकारी तक शामिल हैं। निदेशालय मेें बैठे अधिकारियों की ही मिलीभगत से हेमंत कुमार जैसे अधिशासी अधिकारी गैरसैंण जैसे कई अन्य स्थानीय निकायों में भी इसी तरह के घोटालों को बेरोकटोक अंजाम दे पा रहे हैं। जी-20 के नाम पर निदेशालय स्तर पर भी इस तरह के करोड़ों के घोटालों को अंजाम दिया गया है। अगर इस घोटाले की सीबीआई जांच हो तो कई अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है।
इस प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई गई है। इस घोटाले को लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत व अधिशासी अधिकारी हेमंत कुमार नगर पंचायत का पक्ष सामने रखते हैं तो उसे खबर में अपडेट कर लिया जाएगा।