नई दिल्ली: दो साध्वियों से बलात्कार के अपराध में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर जेल से बाहर आ जाएगा. इस बार उसे 21 दिन के लिए फर्लो की मंजूरी दी गई है.
इससे पहले जनवरी में गुरमीत राम रहीम को 40 दिन की पैरोल दी गई थी. पिछले साल अक्टूबर में भी उसे 40 दिन की पैरोल दी गई थी. हालांकि, इस बार वह फर्लो पर बाहर आने वाला है.
पैरोल का मतलब किसी कैदी को किसी विशेष उद्देश्य के लिए अस्थायी रूप से या सजा की समाप्ति से पहले अच्छे व्यवहार के वादे पर पूरी तरह से रिहा करना है, जबकि फर्लो जेल से दोषियों की एक अल्पकालिक अस्थायी रिहाई है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा की सुनारिया जेल में बंद राम रहीम फर्लो के दौरान उत्तर प्रदेश के बागपत में एक आश्रम में रहेंगे. जनवरी में गुरमीत राम रहीम को 40 दिन की पैरोल दिए जाने पर विवाद के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि सभी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद पैरोल पाना डेरा सच्चा सौदा प्रमुख का अधिकार है. उसी पैरोल अवधि के दौरान राम रहीम को तलवार से केक काटकर ‘जश्न मनाते’ देखा गया था.
इससे पहले अक्टूबर 2022 में बलात्कार के आरोप में हरियाणा में रोहतक की सुनारिया जेल में कारावास की सजा काट रहे राम रहीम को 40 दिन का पैरोल मिली थी. यह कदम राज्य के आदमपुर विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले उठाया गया था.
अक्टूबर-नवंबर 2022 में अपनी पिछली पैरोल अवधि के दौरान राम रहीम ने यूपी के बरनावा आश्रम में कई ऑनलाइन सत्संग आयोजित किए थे. इनमें से कुछ में हरियाणा के भाजपा नेता भी शामिल हुए थे.
इससे पहले राम रहीम को जून 2022 में एक महीने की पैरोल पर रिहा किया गया था और फरवरी 2022 में उसकी तीन सप्ताह की फर्लो मंजूर की गई थी. इस दौरान उसे परिवार के सदस्यों के अलावा किसी से मिलने नहीं दिया गया था. उसकी 21 दिन की रिहाई के दौरान उसे जेड प्लस सुरक्षा भी दी गई थी.
राम रहीम को 21 दिनों की यह छुट्टी पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मिली थी. पंजाब खासकर बठिंडा, संगरूर, पटियाला और मुक्तसर में इस पंथ के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं.
गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम को 28 अगस्त, 2017 में सिरसा में अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई थी. सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय है.
उसे पंचकूला में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था. यह फैसला आने के बाद राम रहीम के समर्थकों ने हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें 30 से अधिक लोग मारे गए थे और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था.
जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
16 साल पुराने इस मामले में अदालत ने गुरमीत राम रहीम के साथ ही तीन अन्य दोषियों कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
इसके अलावा एक अन्य मामले में आरोप था कि हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के खानपुर कोलियान गांव के निवासी डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या 10 जुलाई 2002 को उस समय कर दी गई, जब वह गांव के अपने खेतों में काम कर रहे थे.
गहन जांच के बाद सीबीआई ने 2007 में छह आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था और 2008 में आरोप तय किए गए थे. 8 अक्टूबर, 2021 को अदालत ने रहीम और चार अन्य को रंजीत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था.