November 22, 2024

एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में अवमानना याचिका दायर कर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की उस अर्जी को चुनौती दी जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग की गई है।

वकील प्रशांत भूषण ने गुरुवार (5 मार्च) को चुनावी बॉन्ड पर विवरण का खुलासा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कथित तौर पर अनुपालन न करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई ) के खिलाफ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर अवमानना याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। एडीआर का यह कदम राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता के लिए चल रही लड़ाई के बीच आया है, खासकर विवादास्पद चुनावी बांड योजना के संबंध मेंA

एडीआर ने चुनावी बॉन्ड मामले में भारतीय स्टेट बैंक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अवमानना याचिका दायर की है। भूषण ने तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष अवमानना याचिका का उल्लेख किया। भूषण ने कहा कि एसबीआई ने जानकारी देने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया, जिसे सोमवार को सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है। उन्होंने अनुरोध किया कि अवमानना याचिका को भी एसबीआई के आवेदन के साथ सूचीबद्ध किया जाए।

सीजेआई ने एनजीओ का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण से ई-मेल भेजने को कहा और 11 मार्च को अवमानना याचिका सूचीबद्ध करने का आश्वासन दिया।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से अदालत में पेश हुए वकील प्रशांत भूषण की इस दलील पर गौर किया कि वह मामले में अवमानना की कार्यवाही शुरू करना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पर जानबूझकर अवज्ञा करने का आरोप लगाया गया और अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई। एडीआर का तर्क है कि चुनावी बॉन्ड जारी करने वाला बैंक एसबीआई, न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर भारतीय चुनाव आयोग को बांड के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देने में विफल रहा है। 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दायर याचिका इलेक्टोरल बांड से संबंधित जानकारी का खुलासा करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालती है।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक को 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए इलेक्टोरल बांड का विवरण 6 मार्च तक भारत के चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था। हालांकि, समय सीमा से कुछ दिन पहले एसबीआई ने 4 मार्च को बैंक ने आवेदन दायर कर इन बांडों की बिक्री से डेटा को डिकोड करने और संकलित करने की जटिलता का हवाला देते हुए 30 जून तक विस्तार की मांग कर रहा है। अवमानना याचिका में भारतीय स्टेट बैंक के विस्तार अनुरोध को चुनौती दी गई। इसे ‘दुर्भावनापूर्ण’ और आगामी लोकसभा चुनावों से पहले पारदर्शिता के प्रयासों को विफल करने का प्रयास बताया गया। संगठन का तर्क है कि भारतीय स्टेट बैंक के पास इलेक्टोरल बांड पर जानकारी को तेजी से संकलित करने और प्रकट करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा है।

एडीआर के अनुसार, इलेक्टोरल बांड के प्रबंधन के लिए डिज़ाइन किया गया SBI का आईटी सिस्टम पहले से ही मौजूद है। प्रत्येक बांड को दिए गए अद्वितीय नंबरों के आधार पर आसानी से रिपोर्ट तैयार कर सकता है।

याचिका में डेटा संकलित करने में एसबीआई की कथित कठिनाइयों के बारे में सवाल उठाए गए, जिसमें बताया गया कि बैंक के पास प्रत्येक इलेक्टोरल बांड के लिए आवंटित अद्वितीय नंबरों और खरीदारों के अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) विवरण के रिकॉर्ड हैं। इसके अतिरिक्त, यह नोट करता है कि एसबीआई के पास शाखाओं का विशाल नेटवर्क और अच्छी तरह से काम करने वाला आईटी सिस्टम है, जो लगभग 22,217 इलेक्टोरल बांड के लिए डेटा संकलित करने के कार्य को सरल बनाती है।

राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता के महत्व पर जोर देते हुए एडीआर का तर्क है कि मतदाताओं को इलेक्टोरल बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए पर्याप्त धन के बारे में जानने का मौलिक अधिकार है। याचिका में तर्क दिया गया कि पारदर्शिता की कमी संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) में निहित सहभागी लोकतंत्र के सार के खिलाफ है।

इलेक्टोरल बांड मामले पर अपने फैसले के हिस्से के रूप में जारी किए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उद्देश्य राजनीतिक फंडिंग में अधिक पारदर्शिता लाना है। इलेक्टोरल बांड जारी करने पर रोक लगाने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एसबीआई बांड खरीदारों और राजनीतिक दलों के विवरण का खुलासा करे, जिन्होंने इलेक्टोरल बांड के माध्यम से योगदान प्राप्त किया। ये विवरण चुनाव आयोग को 13 मार्च 2024 तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करना है।

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