देहरादून/मसूरी। मासेनिक लॉज घोटाले को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका को लेकर पालिकाध्यक्ष भी अब अपनी नाक बचाने के लिए झूठ का सहारा लेने लगे हैं। अनुज गुप्ता भी कुछ चाटुकारिता में मग्न कथित पत्रकारों की तरह इस घोटाले को लेकर हो रही फजीहत से बचने के लिए पूरी बेशर्मी के साथ अपने वोटरों को संदेश देने के लिए झूठ बोल रहे हैं। एक यूटयूब चैनल को दिए बयान में अनुज गुप्ता ने फरमाया है कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए जनहित के कार्य में किसी भी तरह का हस्तक्षेप न करने की बात कही है। सच्च्चाई यह है कि हाईकोर्ट ने नगर पालिका की दलीलों को खारिज करते हुए न केवल याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए नगर पालिका, एमडीडीए व शासन से जवाबनाम दाखिल करने के निर्देश जारी किए हैं, बल्कि मासोनिक लॉज के आवासीय व व्यवसायिक स्पेस के आवंटन पर रोक को बरकरार रखा है।
गुप्ता मासोनिक लॉज में पार्किंग को अपनी उपलब्धि बताते हुए जनता में ऐसा संदेश देना चाहते हैं कि कुछ विघ्नसंतोषी बिना वजह विवाद खड़ा कर रहे हैं और वे जो कुछ कर रहे हैं वह सब अच्छा ही अच्छा है। जबकि मासोनिक लॉज को लेकर जो दो याचिककाएं हाईकोर्ट में दायर हुई हैं उनमें किसी में भी मसूरी में पार्किंग निर्माण का विरोध नहीं किया है। पर्यटकों की भारी आमद वाले मसूरी में पार्किंग निर्माण का भला कौन विरोध करेगा? पार्किंग निर्माण को लेकर किसी को भी कोई आपत्ति नहीं हो सकती। सवाल पार्किंग की आड़ में बिना नक्शा पास कराए गैरकानूनी तरीके से 80 से अधिक आवासीय व व्यवसायिक दुकानें बनाने को लेकर है। चुनावी लोभ की खातिर गुप्ता ने पार्किंग के नीचे बिना कोई हवा-पानी के आवास बना डाले हैं। यहीं नहीं जिस डिमरी/मजदूर हाउस को वर्ष 2006 में बहुत पुराना जीर्णशीर्ण होने के चलते तत्कालीन पालिकाध्यक्ष मनमोहन मल की अध्यक्षता वाली एक संयुक्त सर्वेक्षण कमेटी ध्वस्तीकरण कर तीन मंजिला नया आवासीय भवन बनाने की संस्तुति कर चुकी है, उसी जीर्णशीर्ण भवन से सटाकर गुप्ता ने अब सात मंजिला भवन, पार्किंग की आड़ में खड़ा क्यों कर लिया। एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि नगर पालिका की मिलीभगत से डिमरी हाउस में रहने वाले कुछ लोगों ने अपनी दीवारें तोड़कर नये सात मंजिला भवन के एक हिस्से पर भी कब्जा कर लिया है। डिमरी हाउस में रहने वाले चालीस परिवारों की जान की कीमत पर यह खेल खेला जा रहा है। कभी भी कोई बड़ा हादसा यहां हो सकता है। गुप्ता अपने इन कारनामों को छुपाकर खुद को पाक साफ साबित करने के के लिए अभी भी झूठ का सहारा ले रहे हैं। इसके लिए हाईकोर्ट का भी सहारा लिया जा रहा है। ऐसा गुप्ता पहले भी हाईकोर्ट के नाम पर मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को पत्र लिखकर कर चुके हैं। गुप्ता अपने पत्र में कहते रहे हैं कि हाईकोर्ट ने मासोनिक लॉज में पार्किंग निर्माण में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न न करने के आदेश जारी किए हैं। जबकि हकीकत यह है कि हाईकोर्ट ने कभी भी गैरकानूनी निर्माण को जारी रखने का आदेश नहीं दिया है।
हाईकोर्ट में चल रहे इस विवाद के बीच अनुज गुप्ता अच्छी तरह जानते हैं कि उनका भांडा अब फूटने लगा है, लेकिन इस सबके बीच गुप्ता की कोशिश है कि किसी तरह मासोनिक लॉज में दुकाने, आवास व डिमरी हाउस से जुड़े परिवारों को किसी भी तरह झूठ का सहारा लेकर लॉलीपॉप थमाकर अपने साथ बांधे रखा जा सके ताकि अगले कुछ महीनों में होने वाले चुनाव की वैतरणी पार की जा सके।
लेकिन घपले-घोटालों को लेकर बदनाम अनुज गुप्ता के लिए अबकी बार अपनी चुनावी नैप्या पार लगाना इतना भी आसान नहीं रह गया है। इस लड़ाई में चुनावी तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जाएगी वैसे-वैसे गुप्ता का रंग और बेरंग होता जाएगा।