November 24, 2024

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में अमर उजाला के पत्रकार नवीन सक्सेना की पत्नी रश्मि सक्सेना को बिना योग्यता के असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया है। उनके पास असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की अनिवार्य योग्यता यूजीसी-नेट और पीएचडी की डिग्री नहीं है।

कमाल की बात यह भी है कि उनकी नियुक्ति ऐसे पद पर की गई है जिस विषय की उनके पास डिग्री ही नहीं है। इस पद के लिए कोई विज्ञापन भी नहीं निकला था।

हाल ही में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर (अकेडमिक कंसल्टेंट) के 46 पदों पर भर्तियां की हैं. इनमें से शिक्षाशास्त्र  में तीन पद विज्ञापित किये गये थे। दो पद शिक्षाशास्त्र विभाग में एक पद विशिष्ट शिक्षा में विज्ञापित किया गया था। नियमों के अनुसार शिक्षा शास्त्र विभाग में नियुक्ति के लिए नेट या पीएचडी अनिवार्य है।

विशिष्ट शिक्षा में रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आरसीआई) के नियमों के अनुसार नेट या पीएचडी न होने पर भी उम्मीदवार की नियुक्ति की जा सकती है। लेकिन यह कोई नियम नहीं है कि नेट या पीएचडी उम्मीदवार होने के बाद भी धांधली करते हुए सिर्फ़ एमएड की डिग्री वाले की नियुक्ति कर दी जाए।

संबंधित मामले में विशिष्ट शिक्षा विभाग में एक पद के लिए विज्ञापन दिया गया था। एक पद पर उम्मीदवार का चयन भी हो गया। लेकिन बिना विज्ञापन के एक और पद पर पत्रकार नवीन सक्सेना की पत्नी रश्मि सक्सेना को नियुक्त कर दिया गया। इस पद पर नियमानुसार सिर्फ विशिष्ट शिक्षा में मास्टर डिग्री प्राप्त उम्मीदवार का ही चयन हो सकता था। रश्मि सक्सेना के पास विशिष्ट शिक्षा में कोई डिग्री नहीं है। वे सिर्फ़ बीएड और एमएड हैं। उन्होंने नेट या पीएचडी की परीक्षा भी पास नहीं की है।

शिक्षाशास्त्र विद्याशाखा के इंटरव्यू में बड़ी संख्या में नेट और पीएचडी डिग्री प्राप्त उम्मीदवार आये थे। लेकिन उनकी नियुक्ति न कर राजनीतिक पहुंच रखने वाले लोगों नियुक्ति कई सवाल खड़े करती है। कहा जाता है कि शिक्षा शास्त्र विद्याशाखा में इससे पहले भी अधिकांश नियुक्तियां अवैध तौर पर की गई हैं। इसमें विद्याशाला के निदेशक बनाये गये व्यक्ति के पास ही पद पर बने रहने के लिए अनिवार्य योग्यता नहीं है।

अमर उजाला के पत्रकार नवीन सक्सेना लंबे अरसे से शिक्षा विभाग कवर कर रहे थे। बाद में उनको डेस्क पर स्थानांतरित कर दिया गया। सत्ताधारी पार्टी से उनके ताल्लुकात जग जाहिर हैं। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ओम प्रकाश नेगी पर उनके कार्यकाल के दौरान बड़ी संख्या में अवैध नियुक्ति कर बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं को भर्ती करने के आरोप हैं। आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में हुई भर्तियों में बिना अनिवार्य अर्हता के शिक्षकों की भर्तियां की हैं। पत्रकार की पत्नी की अवैध भर्ती करने के बाद उनके भ्रष्टाचार पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय मीडिया भी उनके कारनामों पर पर्दा डालता रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *