November 24, 2024
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उत्तरकाशी के पुरोला बाजार में मुसलमान दुकानदारों की दुकानों की होर्डिंग्स उतारते लोग। फ़ोटो साभार : शैलेंद्र गोदियाल

वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों की पटकथा एक हिंदू-मुस्लिम प्रेमी जोडे और फिर उस पर बैठी महापंचायत से शुरू हुई थी। उन दंगों की आग से सिर्फ मुजफ्फरनगर ही नहीं झुलसा था, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में उसकी लपटें पहुंची थीं। देश के इतिहास में मुजफ्फरनगर दंगे शर्मसार कर देने वाला पन्ना है। इसके जख्म आज भी नहीं भरे हैं।

उत्तराखंड के सीमांत जिले उत्तरकाशी के पुरोला विकासखंड में माहौल बिगाड़ने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। लव जिहाद का नारा देकर 15 जून को यहां महापंचायत बुलाई गई है। समुदाय विशेष के लोगों में भय की स्थिति बनी हुई है।

मुस्लिम समुदाय ने मांगी सुरक्षा

पुरोला में कपडे की दुकान चलाने वाले मुस्लिम समाज के एक दुकानदार (नाम नहीं जाहिर करना चाहते) बताते हैं हमारी तीसरी पीढी यहां रह रही है। 1978 में मेरे पिता यहां आकर बसे थे। मेरा जन्म यहीं हुआ। मेरे बच्चों का जन्म यहीं हुआ। मेरी तो ये जन्मभूमि है। अपनी जन्मभूमि के साथ हम कुछ गलत काम नहीं कर सकते। वे चाहते हैं कि अब हम अपना घर-दुकान सब कुछ छोडकर यहां से चले जाएं।

“27 मई से हमारी दुकानें बंद हैं। हमारी किराए की दुकान है। हम पर किराया चढ़ रहा है। हमारे यहां काम करने वाले लोगों को हमें तनख्वाह देनी है। घर का खर्च चलाना है। हम बेहद परेशान हैं।

अब तक हम सब लोग यहां बहुत प्यार और मेलजोल के साथ रह रहे थे। अब भी यहां के मूल निवासी हमसे कुछ नहीं बोल रहे हैं और वैसे ही मिल रहे हैं जैसे पहले मिला करते थे।

‘वो कौन लोग हैं जो हमें टारगेट कर रहे हैं’

पुरोला बाजार में जितने भी मुस्लिम समुदाय के लोग हैं, उनके होर्डिंग, बैनर सब तोडे गए हैं। हमारी दुकानों पर पोस्टर चिपकाया गया है कि हम 15 जून तक दुकानें खाली कर यहां से चले जाएं।

सोमवार को हमने एसडीएम को दो ज्ञापन दिए हैं। हमने लिखा है कि 26 मई को जो भी घटना हुई, वह गलत थी। हम उस घटना का पूरी तरह विरोध करते हैं और ऐसे लोगों के साथ नहीं हैं। हम रवांई घाटी के आम लोगों के साथ हैं।

दूसरे ज्ञापन में हमने प्रशासन से सुरक्षा देने और हमारी दुकानें खुलवाने की मांग की है। अब बात सुलझाई जानी चाहिए तो कुछ लोग बढ़ावा दे रहे हैं कि इन्हें यहां से भगाओ। हमारा सब कुछ यहां है। हम कैसे सब कुछ छोड़कर चले जाएंगे। अब तो अर्थी पर लेट कर ही जाएंगे।

सोमवार को हमने पुलिस चौकी में भी सुरक्षा की मांग की। सीओ साहब ने हमें आश्वासन दिया कि हम आपकी दुकानें खुलवाएंगे। आप कल से दुकानें खोलो। चिंता की कोई बात नहीं है। पीएसी की गाडी बाजार में खडी रहेगी। आपको पूरी सुरक्षा दी जाएगी। फिर शाम होते-होते वे भी बदल गए। एसएचओ ने हमें थाने बुलाया और कहा कि आप दुकानें नहीं खोलोगे। आपके प्रति यहां के लोगों में गलत भावना है।

व्यापार मंडल हमसे कह रहा है कि हमने आपको दुकानें बंद करने को नहीं कहा था और अब हम आपसे दुकानें खोलने को नहीं कहेंगे। उन्होंने व्यापार मंडल के व्हाट्सएप ग्रुप से भी हमें निकाल दिया है।

26 मई की घटना के बाद बाजार में हमारे समाज के खिलाफ जुलूस निकाला गया। उस समय दुकानें बंद करना हमारी मजबूरी थी। नहीं तो वह हमारी दुकानों में तोड़फोड़ करते। अब हम दुकानें खोलने की स्थिति में नहीं हैं। हमारी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है”।

यहां 40 से अधिक परिवारों ने डर के चलते शहर छोड दिया है। हमें अपने परिवार की सुरक्षा भी देखनी है।

रविवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों की दुकानों के बाहर 15 जून से पहले भवन खाली करने के पोस्टर लगे हुए मिले। फ़ोटो साभार : शैलेंद्र गोदियाल

प्रेम प्रसंग को दिया जा रहा सांप्रदायिक रंग

26 मई को पुरोला में एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर ले जाने का मामला सामने आया था। लडकी के साथ एक हिंदू लड़के और एक मुस्लिम लडके को पकडा गया। दोनों मूलरूप से बिजनौर के रहने वाले थे। पुरोला पुलिस स्टेशन के एसएचओ केएस चौहान न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि दोनों लडकों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर नाबालिग लड़की को भगाकर ले जाने का मामला दर्ज किया गया है। दोनों लड़के उत्तरकाशी के स्थानीय निवासी हैं। मुस्लिम लडके का परिवार पिछले करीब 25 वर्षों से यहां रह रहा है। वे यहां के स्थायी निवासी हैं।

उत्तरकाशी के वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र गोदियाल बताते हैं कि लडकी का प्रेम प्रसंग हिंदू लड़के के साथ चल रहा था। मुस्लिम लडके ने अपने दोस्त की मदद की क्योंकि दोनों की दुकानें आमने-सामने थीं। दोनों हमउम्र थे। लडकी ने पुलिस को दिए अपने बयान में भी कहा है कि वह मुस्लिम लडके को नहीं जानती है।

शैलेंद्र कहते हैं कि कुछ तथाकथित हिंदू संगठनों और उनसे जुडे स्थानीय लोगों ने इस मामले को तूल दे दिया है और अलग दिशा में ले गए। इसमें यहां के व्यापारियों की भी भूमिका है। पुरोला बाजार में लगभग 40 दुकानें मुस्लिम समुदाय के लोगों की हैं और वे काफी अच्छे ढंग से अपना व्यापार करते आ रहे हैं। कपडे, सब्जी, रजाई-गद्दे, मोटर पार्ट्स जैसी छोटी-छोटी दुकानें हैं। आम लोग उनकी दुकानों से खरीदारी करते हैं। कहीं न कहीं व्यापार में भी उनकी बढत थी। तो व्यापार से जुड़ी रंजिश भी इस मामले में रही होगी।

कुछ दुकानों पर पुलिस की मौजूदगी में काले क्रॉस का चिन्ह बनाया गया। फ़ोटो साभार : शैलेंद्र गोदियाल

माहौल कौन बिगाड़ रहा है?

पुरोला के बाजार में मुस्लिम समाज के दुकानों के होर्डिंग्स तोडे गए हैं। उनकी दुकानों पर काले रंग से क्रॉस का निशान बनाया गया है। एक तस्वीर में पुलिस की मौजूदगी में काला क्रॉस बनाया जा रहा है। रविवार रात कुछ दुकानों पर पोस्टर चस्पा किए गए, जिसमें लिखा था, “लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून को होने वाली महापंचायत से पहले अपनी दुकानें खाली कर दें। यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता तो वह वक्त पर निर्भर करेगा”। पोस्टर “देवभूमि रक्षा अभियान” की तरफ से लगाए गए हैं।

पुरोला व्यापार मंडल के अध्यक्ष बृजमोहन इन पोस्टरों को लेकर अनभिज्ञता जताते हैं। वह कहते हैं “पोस्टर किसी हिंदू संगठन ने रात को चिपकाए होंगे। हमारी मांग है कि बाहर से आने वाले व्यापारियों का सत्यापन सही तरीके से कराया जाए। ऐसे दुकानदार हैं जिनके यहां कोई एक दिन काम करता है। फिर उनके रिश्तेदार काम के लिए आते हैं और वे यहीं रह जाते हैं। इस तरह के लोगों पर नकेल कसी जाए जिनका सत्यापन सही नहीं पाया जाता उन्हें यहां से हटाया जाए”।

बृजमोहन कहते हैं, “व्यापार मंडल ये नहीं कह रहा है कि यहां से समुदाय विशेष के लोगों की दुकानें हटाई जाएं या उनके लोग यहां से जाएं। हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि जो अराजक तत्व हैं, जिनका सत्यापन सही नहीं किया गया है, उनका सत्यापन कीजिए, फिर ये लोग हमारे बीच व्यापार कर सकते हैं। हम सिर्फ एक समुदाय विशेष के लोगों के सत्यापन की मांग नहीं कर रहे हैं। हम कह रहे हैं कि बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति का सही तरह से सत्यापन किया जाए।”

देवभूमि रक्षा अभियान के बारे में पूछने पर वह बताते हैं, “कल (रविवार को) यहां दर्शन भारती आए थे। बाजार में उन्होंने जुलूस निकाला। बाजार में काफी पुलिस बल तैनात था। उन्होंने हमसे सहयोग मांगा तो हमने कहा कि हम सहयोग करेंगे”।

एसएचओ केएस चौहान कहते हैं कि एक-दो दुकानों पर ये पोस्टर लगे थे। हमने इसमें मुकदमा कायम कर दिया है। क्या यह मुकदमा देवभूमि रक्षा अभियान पर किया गया है? इस पर वह जवाब देते हैं कि इस संस्था की उन्हें जानकारी नहीं है, इसकी जानकारी की जा रही है।

उत्तरकाशी के पुरोला विकासखंड के एसडीएम जितेंद्र कुमार न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहते हैं, “पोस्टर लगाने का मामला हमारे संज्ञान में आया है। इस बारे में पुलिस से भी हमारी बात हुई है। हम जांच कर रहे हैं कि ये पोस्टर किसने लगाए हैं”।

दुकानों पर पोस्टर चस्पा करने वाले देवभूमि रक्षा अभियान के बारे में एसडीएम को भी जानकारी नहीं है। वह कहते हैं, “हम यहां कानून व्यवस्था बिगड़ने नहीं देंगे। समुदाय विशेष को इस तरह टारगेट नहीं किया जा सकता। हमारा संविधान किसी को कहीं भी रहकर कार्य करने की आजादी देता है। बाहर से आकर यहां बसना प्रतिबंधित नहीं है। अगर कानूनी तौर पर सब कुछ ठीक है और सारी औपचारिकताएं पूरी हैं तो लोग यहां आकर रह सकते हैं”।

एसडीएम कहते हैं कि समय-समय पर सत्यापन अभियान चलाया जाता है। इस समय भी राजस्व और पुलिस विभाग का संयुक्त सत्यापन अभियान चल रहा है।

एसएचओ केएस चौहान भी सतत सत्यापन अभियान प्रक्रिया चलने और सब कुछ ठीक होने की बात करते हैं।

जबकि व्यापारी लगातार सत्यापन का मुद्दा उठा रहे हैं।

26 मई की घटना के बाद पुरोला और बड़कोट के बाजार में हिंदू संगठनों ने रैली निकाली।

महापंचायत को लेकर भी एसडीएम कहते हैं कि अभी यह कनफर्म नहीं है।

इसके उलट, महापंचायत का आह्वान करने वाले देवभूमि रक्षा अभियान से फेसबुक पेज चलाने वाले स्वामी दर्शन भारती कहते हैं कि महापंचायत जरूर होगी। हम स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना भेज देंगे। पोस्टर को लेकर वह कहते हैं कि हमने ये नहीं लगाए, लेकिन हमारे नाम से जिसने भी पोस्टर लगाए, सही लगाए।

स्वामी दर्शन भारती रविवार को पुरोला बाजार गए। वह न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहते हैं, “राज्य में मुस्लिम आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। पहाड़ में लव जिहाद बहुत ज्यादा हो रहा है। लैंड जिहाद है। 15 जून को हम महापंचायत करेंगे और निर्णय लेंगे। अगर कोई दुकान खाली नहीं करता, मकान खाली नहीं करता तो हम देखेंगे कि महापंचायत क्या निर्णय लेगी। क्या उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। गांव के लोग, जिला पंचायत के लोग, गणमान्य लोग, व्यापारी सभी इस महापंचायत में शामिल होंगे। गैर-राजनीतिक महापंचायत होगी”।

वह कहते हैं, “रविवार को हम हर उस व्यक्ति के घर गए जिनके यहां मुसलमान किराएदार है। जिन्होंने उन्हें दुकानें दे रखी हैं। हर वो व्यक्ति चाहता है कि उन्हें यहां से निकालिए। उन्होंने किराए पर घर जरूर दिया लेकिन अब वे चाहते हैं कि मुसलमान यहां से जाएं”।

व्यापार मंडल मुस्लिम समाज नहीं बल्कि अराजक तत्वों के खिलाफ है, इस पर दर्शन भारती कहते हैं कि आपको पत्रकार होने के नाते उन्होंने ऐसा कहा होगा लेकिन व्यापार मंडल का हर एक व्यक्ति चाहता है कि वे यहां से चले जाएं।

पुरोला की इस घटना का असर जिले के अन्य विकासखंड जैसे मोरी और बड़कोट में भी फैल गया। यहां भी ढोल नगाड़ों के साथ हिंदूवादी संगठनों और व्यापार मंडल जुलूस निकाल रहे हैं।

इस सबका असर ये हुआ कि सोमवार को मुस्लिम व्यापारियों के शहर छोड़ने की खबरें आने लगीं। मुसलमान किरायेदारों को भवन खाली करने के लिए कहा जा रहा है। जबकि जिला प्रशासन और पुलिस सुरक्षा और सब कुछ शांत होने के दावे कर रही है।

पुरोला में मुस्लिम दुकानदार की खाई में फेंकी हुई होर्डिंग। उत्तराखंड की राजनीति में पिछले कुछ वर्षों में लव जिहाद, लैंड जिहाद, मजार जिहाद जैसे नारे लगातार दिए जा रहे हैं। फ़ोटो साभार : शैलेंद्र गोदियाल

देवभूमि में ‘जिहाद’ के नारे क्यों गूंज रहे

उत्तराखंड में लव जिहाद, लैंड जिहाद, मजार जिहाद जैसे नारे पिछले कुछ वर्षों से लगातार चर्चा में बने हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में लगातार ये कह रहे हैं कि हम लव जिहाद नहीं होने देंगे, लैंड जिहाद नहीं होने देंगे। हमने प्रदेश की जनता से वादा किया है कि समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जाएगा। सोमवार को उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ में भी अपने एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने ये बातें दोहराई। उन्होंने ये भी कहा कि वे राज्य का सौहार्द नहीं बिगड़ने देंगे।

वरिष्ठ पत्रकार एसएमए काज़मी कहते हैं कि जब से उत्तराखंड अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया है तब से गुजरात मॉडल की तर्ज पर इसे हिंदू राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है। 2017 में राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद ये तेज हो गया है और 2022 की जीत के बाद इस कोशिश ने और रफ्तार पकड़ ली है।

उत्तराखंड के पहले अल्पसंख्यक आयोग में सदस्य रह चुकीं और वर्तमान में बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड की अध्यक्ष रजिया बेग अंतरधार्मिक प्रेम प्रसंग और विवाह के मामलों को इस तरह का तूल देने पर चिंता जताती हैं।

वह कहती हैं, “संविधान ने हमें अपनी मर्जी से शादी करने की आजादी दी है। स्पेशल मैरिज एक्ट का यही उद्देश्य है। अभी फिलहाल कुछ समय से ये हो गया है कि अगर कोई नाबालिग हिंदू लड़की होती है और लडका मुस्लिम होता है तो तनाव का माहौल बना देते हैं। जबकि नाबालिग मुस्लिम लडकी होती है तो पुलिस उस पर कोई आवाज नहीं उठाती। वह मामला दबा दिया जाता है”।

रजिया पिछले दिनों विकास नगर में ऐसे ही एक प्रेम प्रसंग का उदाहरण देती हैं। वह कहती हैं “उस जोड़े ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी के लिए आवेदन किया था। लडकी बालिग थी। जो भी मामला था वह पुलिस को निपटाना था। हमने देखा कि बजरंग दल ने थाना घेर रखा था। वो लडकी के घर जाकर फैसला ले रहा था कि क्या करना है। लडके का घर जलाने तक तैयार हो गए थे। बजरंग दल कौन होता है। देहरादून में ऐसे एक मामले में कोर्ट परिसर के भीतर बजरंग दल छा गया। परिसर के अंदर वकीलों के साथ मारपीट भी की। मैं एक वकील के तौर पर इस मामले को देख रही थी”।

पिछले दिनों पौड़ी में में भाजपा नेता को अपनी बेटी के शादी का समारोह रद्द करना पड़ा। क्योंकि बजरंग दल समेत हिंदूवादी संगठन इसके खिलाफ खडे हो गए।

(वर्षा सिंह देहरादून स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं।यह स्टोरी उन्होंने न्यूजक्लिक के लिए लिखी है। हिमालयनटीवी पर न्यूजक्लिक से साभार।) 

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