गुजरात दंगों के दौरान बिलकीस बानों के साथ हुए गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने दोषियों की रिहाई का फैसला रद्द करते हुए कहा कि सजा अपराध रोकने के लिए दी जाती है. पीड़ित के तकलीफ की भी चिंता करनी होगी. साथ ही कहा कि गुजरात सरकार को रिहाई का फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है. जब सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है तो रिहाई पर फैसला भी वहीं की सरकार को है. इसलिए गुजरात सरकार कैसे माफ कर सकती है.
बता दें कि 15 अगस्त, 2022 को गुजरात सरकार ने 11 दोषियों की सजा कम करते हुए उन्हें आजादी के अमृत महोत्सव के तहत रिहा करने का फैसला किया था, जबकि सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. गुजरात सरकार के इस फैसले का काफी विरोध भी हुआ था.
इस रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थीं. याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की गई थी. अन्य याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की गई थी.
साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के परिवार के 14 लोगों की हत्या कर दी गई थी और उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था.